सितंबर 2020 में हुए किसान आंदोलन (Farmer Protest) के वक्त मोदी सरकार को यकीनन 2014 में सत्ता में आने के बाद की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था. केंद्र द्वारा लाए तीन कृषि कानूनों का बड़े पैमाने पर किसानों ने विरोध किया. इस आंदोलन की चर्चा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में भी हुई. 16 महीने के लंबे विरोध के दौरान, सरकार ने कई तरीकों से किसानों को शांत करने की कोशिश की और केंद्र की आलोचना करने वालों और किसानों का समर्थन करने वालों का जोरदार विरोध किया.
सरकार को नाराज करने वालों की लिस्ट में पत्रकार, विपक्षी नेता, कार्यकर्ता और यहां तक कि आम नागरिक भी शामिल थे. इस मामले में सोशल मीडिया साइट ट्विटर ने एक बड़ी भूमिका निभाई थी क्योंकि इसके जरिए लोग अपनी बातें लोगों तक पहुंचाते थे.
ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी ने सोमवार, 12 जून को कहा कि उन्हें 2021 में किसानों के विरोध प्रदर्शनों के दौरान भारत सरकार के "दबाव" का सामना करना पड़ा था.
डॉर्सी ने 2015 से 2021 तक ट्विटर के सीईओ के रूप में कार्य किया था. Breaking Point यूट्यूब चैनल को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कहा था कि अगर सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों का ट्विटर ब्लॉक नहीं किया गया तो देश में वेबसाइट को बंद कर दिया जाएगा. डोर्सी ने ये भी कहा कि "ऑफिस पर छापा मारने" की भी "धमकी" दी गई थी.
भारत एक ऐसा देश है जिसने किसानों के विरोध के आसपास कई अनुरोध किए थे. हमें कहा गया कि हम आपके कर्मचारियों के घरों पर छापा मरेंगे. अगर आप जो कहा गया है नहीं करोगे तो हम आपके कार्यालयों को बंद कर देंगे. जबकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है.जैक डॉर्सी, पूर्व ट्विटर सीईओ
केंद्र ने जैक डॉर्सी पर किया पलटवार
केंद्रीय आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने जैक डॉर्सी को जवाब देते हुए अपने ट्वीट में लिखा कि वे 2020 से 2022 तक बार-बार कानून का पालन नहीं कर रहे थे. केवल जून 2022 में उन्होंने अनुपालन किया. कोई जेल नहीं गया और न ही ट्विटर "शटडाउन" हुआ. डॉर्सी के ट्विटर शासन को भारतीय कानून की संप्रभुता को स्वीकार करने में समस्या थी.
केंद्रीय मंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा कि जनवरी 2021 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान, बहुत सारी गलत सूचनाएं और यहां तक कि नरसंहार की रिपोर्टें भी आईं, जो निश्चित रूप से नकली थीं. भारत सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से गलत सूचनाओं को हटाने के लिए बाध्य होना पड़ा क्योंकि फर्जी खबरों के आधार पर स्थिति बिगड़ सकती थी.
जैक शासन के तहत ट्विटर पर इस तरह का पक्षपातपूर्ण व्यवहार था कि उन्हें भारत में सोशल प्लेटफॉर्म से गलत सूचना को हटाने में समस्या हुई, जब उन्होंने अमेरिका में इसी तरह की घटनाएं होने पर स्वयं ऐसा किया.केंद्रीय आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर
किसान आंदोलन के दौरान सरकार और ट्विटर के बीच क्या हुआ था?
1 फरवरी 2021 को जब किसानों का विरोध अपने चरम पर था, तो ट्विटर ने 250 से अधिक अकाउंट्स को केंद्र सरकार के खिलाफ कथित रूप से ट्वीट करने पर रोक लगा दी थी.
जिन अकाउंट्स को ब्लॉक किया गया था, उनमें किसान एकता मोर्चा, द कारवां, CPI(M) नेता मोहम्मद सलीम, माणिक गोयल और Tractor2twitr सहित कई प्रमुख अकाउंट्स शामिल थे. भारत सरकार द्वारा कथित तौर पर ट्विटर को लीगल रूप से कंटेंट हटाने के अनुरोध भेजे जाने के बाद यह कार्रवाई की गई.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) ने ट्विटर को उन अकाउंट को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था, जिनके बारे में सरकार ने दावा किया था कि वे 30 जनवरी 2021 को हैशटैग #ModiPlanningFarmerGenocide चला रहे थे और "फर्जी, डराने वाले और उत्तेजक ट्वीट" कर रहे थे.
यह कार्रवाई 2021 में गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच हुई झड़प के बाद की गई थी. हालांकि "Insufficient Justification" का हवाला देते हुए कई अकाउंट को कुछ वक्त बाद अनब्लॉक कर दिया गया था.
इसके बाद ट्विटर को भारत सरकार की कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा था. आईटी मंत्रालय ने आईटी अधिनियम के तहत जारी किए गए आदेशों का पालन नहीं करने के लिए ट्विटर को कानूनी परिणाम भुगतने की चेतावनी दी.
केंद्र ने यह भी कहा कि ट्विटर भारत में व्यापार करने के लिए आजाद है लेकिन उसे स्थानीय कानूनों का सम्मान करना चाहिए.
केंद्र सरकार ने फरवरी 2021 में एक बयान में कहा था कि
भारत में, हम स्वतंत्रता और आलोचना को महत्व देते हैं क्योंकि यह हमारे लोकतंत्र का हिस्सा है लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूर्ण नहीं है और यह उचित प्रतिबंधों के अधीन है.
एक ब्लॉग पोस्ट में ट्विटर ने कहा था कि वह उन अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा, जो मीडिया संगठनों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं या राजनेताओं से संबंधित हैं. क्योंकि हमें विश्वास नहीं है कि हमें जो कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है वह भारतीय कानून के मुताबिक है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के हमारे सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, हमने संस्थानों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और मीडिया से जुड़े अकाउंट्स पर कोई कार्रवाई नहीं की है.
हालांकि, केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच यह तनाव 25 मई 2021 को चरम पर पहुंच गया था, जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारियों द्वारा दिल्ली और गुरुग्राम में कंपनी के कार्यालयों का "दौरा" किया गया था.
कंपनी को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा और सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ अन्य नेताओं द्वारा ट्वीट्स को "मैनिपुलेट मीडिया" के रूप में लेबल करने पर नोटिस दिया गया था.
20 मई 2021 को संबित पात्रा के ट्वीट में पीएम मोदी को बदनाम करने के लिए COVID-19 महामारी के दौरान कांग्रेस द्वारा "टूलकिट" के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था. पुलिस ने ट्विटर से उनके पास मौजूद कंटेंट के बारे में जानकारी देने को कहा था, जिसके आधार पर कंपनी के द्वारा ऐसा किया गया था.
जून 2021 में ट्विटर को चार खातों- California Sikh Youth Alliance, hip-hop artist L-Fresh the Lion, and singers Jazzy B और Tarandeep Guraya को जियो-रेस्ट्रिक्शन (सिर्फ देश के बाहर एक्सेस किया जा सकता है) करने का आदेश दिया गया था.
TechCrunch की रिपोर्ट के मुताबिक सभी चारों अकाउंट के द्वारा भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का विरोध किया गया था. कुछ ने ऐसे ट्वीट भी किए थे, जो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते थे.
उसी महीने, MEITY द्वारा कानूनी मांग के जवाब में भारत में प्रेस की स्वतंत्रता में गिरावट का आरोप लगाने वाले कई ट्वीट हटा दिए गए थे. प्रभावित ट्विटर अकाउंट में जर्नलिस्ट राणा अय्यूब, कांग्रेस के कई नेता, आम आदमी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और पाकिस्तानी सरकार के अधिकारी शामिल थे.
सरकार द्वारा जून 2021 में दिवंगत पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के गाने SYL को YouTube पर बैन करने के कुछ ही वक्त बाद कई सिख-संचालित ट्विटर अकाउंट, जो किसानों के विरोध के दौरान बेहद एक्टिव थे, उन पर भी पाबंदी लगा दी गई थी.
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