पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के नेताओं ने कथित तौर पर अगस्त के तीसरे सप्ताह में कंधार में तालिबान नेताओं से मुलाकात की है और जैश ने अपने "भारत केंद्रित अभियानों" में तालिबान का समर्थन मांगा है.
न्यूज एजेंसी ANI ने खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है. इस जानकारी के बाद, जम्मू-कश्मीर को अलर्ट पर रखा गया है, क्योंकि खुफिया एजेंसियां अब सीमा पार से आतंकवादियों के घुसपैठ का अनुमान लगा रही हैं.
ANI ने रिपोर्ट किया कि जैश-ए-मोहम्मद और तालिबान के बीच हुई बैठक में पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा की गई थी.
अधिकारी ने ANI से कहा कि "हमने खुफिया एजेंसियों को सोशल मीडिया पर नजर रखने का आदेश दिया है. 24 अगस्त को, हमें पाकिस्तान से दो आतंकवादियों की आवाजाही के बारे में इनपुट मिला, जो श्रीनगर में ग्रेनेड हमले की योजना बना रहे हैं. सभी संबंधित एजेंसियों को आपस में कोआर्डिनेशन के लिए सतर्क कर दिया गया है."
"सभी राज्यों को सुरक्षा अभ्यास करने और एंटी-टेररिज्म यूनिट्स को हाई अलर्ट पर रखने के लिए कह दिया गया है."
अमेरिका ने कहा हक्कानी नेटवर्क और तालिबान एक नहीं
आतंकवादी समूहों, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच करीबी संबंधों के बावजूद अमेरिकी विदेश विभाग ने 27 अगस्त (स्थानीय समयानुसार) कहा कि वे दो अलग-अलग समूह हैं.
एक प्रेस वार्ता के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने यह बात कही.
हालांकि उनके इनकार के बावजूद मीडिया रिपोर्टों में ये खबर आती रही है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच मजबूत संबंध हैं. अमेरिका ने पहली बार 2012 में हक्कानी नेटवर्क को आतंकी संगठन घोषित किया था.
दक्षिण और दक्षिण पश्चिम एशिया के लिए CIA के एक पूर्व एंटी-टेररिज्म प्रमुख डगलस लंदन ने कहा है कि पाकिस्तानियों और हक्कानी के बीच संबंध स्पष्ट है, साफ है ऐसे में तालिबान का हक्कानी नेटवर्क और जैश-ए-मोहम्मद के साथ काम करना भारत के लिए सुरक्षा का बड़ा मुद्दा बन सकता है.
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