विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कश्मीर पर मध्यस्थता के ट्रंप के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है. एस. जयशंकर ने संसद में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के साथ बातचीत में कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका की मध्यस्थता का कोई अनुरोध नहीं किया था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दे द्विपक्षीय हैं. दोनों देशों के बीच बातचीत सीमा पार से घुसपैठ रोके जाने के बाद ही शुरू हो सकती है.
जयशंकर ने कहा
मैं सदन को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि ऐसी कोई पेशकश पीएम मोदी की ओर से नहीं रखी गई. भारत का हमेशा से मानना रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दे द्विपक्षीय हैं. पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत के लिए जरूरी है कि सीमा पार से घुसपैठ बंद हो.
विदेश मंत्री जयशंकर ने राज्यसभा के बाद लोकसभा में भी दिया बयान
विदेश मंत्री ने इस मुद्दे पर राज्यसभा के बाद लोकसभा में भी बयान दिया. उन्होंने कहा ''हम अपना रुख फिर से दोहराते हैं कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय तरीके से ही किया जाएगा. उन्होंने कहा '-पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत सीमा पार से जारी आतंकवाद बंद होने के बाद, लाहौर घोषणापत्र और शिमला समझौते के तहत ही होगी.
ट्रंप की ओर से मोदी से बातचीत में कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के अनुरोध के बारे में बयान जारी करने के बाद कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने लोकसभा और सीपीआई के सांसद डी. राजा ने राज्यसभा में इस मामले पर तुरंत चर्चा की मांग की थी. विदेश मंत्री के इस बयान के बाद कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने प्रधानमंत्री से इस विषय स्थिति साफ करने को कहा. राज्यसभा में एम वेंकैया नायडू ने शून्यकाल की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया. लेकिन विपक्षी सदस्य प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग पर अड़े रहे.
इससे पहले कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने कहा था कि मुझे वाकई नहीं लगता है कि ट्रंप को इस बात का थोड़ा भी अंदाजा है कि वह क्या कह रहे हैं. या तो उन्हें किसी ने मामले की जानकारी नहीं दी या वह समझे नहीं कि मोदी क्या कह रहे थे या फिर भारत का तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को लेकर क्या स्टैंड है. विदेश मंत्रालय को इस मामले पर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि भारत की ओर कभी भी ट्रंप से मध्यस्थता पर बात नहीं की गई.
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