जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर (Najma Akhtar) को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री (Padama Shri award) से सम्मानित किया. पुरस्कार समारोह का आयोजन दरबार हॉल में किया गया. भारत सरकार ने साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए प्रोफेसर नजमा अख्तर को पुरस्कार के लिए चुना.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की वीसी (VC) अपनी नीतियों की वजह से कभी छात्रों के निशाने पर तो कभी तारीफों की वजह से सुर्खियों में रही है. वीसी नजमा अख्तर से जुड़े पांच चर्चित किस्सें बतातें हैं.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पहली महिला वाइस चांसलर
नजमा अख्तर साल 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की पहली महिला 'शेख-उल-जामिया' यानी वाइस चांसलर बनीं. उनसे पहले तलत अहमद जामिया वीसी का प्रभार संभाल रहें थे.
आरएसएस से नजदीकियां होने पर विवाद
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की वाइस चांसलर बनने के बाद नजमा अख्तर की एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें आरएसएस लीडर इंद्रेश कुमार को उनके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते हुए देखा गया.
आपको बता दें आरएसएस लीडर इंद्रेश कुमार साल 2017 में जामिया में बतौर अतिथि बुलाए गए तब उन्हें छात्रों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था. छात्रों और सुरक्षाबलों के बीच भीषण टकराव हुआ था और सुरक्षाबलों को छात्रों के खिलाफ बलप्रयोग भी किया था.
इंद्रेश कुमार के साथ वीसी की तस्वीर बाहर आतें ही जामिया के कुछ छात्रों ने आपत्ति जतानी शुरू कर दी. साल 2022 में संघ विचारक राकेश सिन्हा को जामिया की 'अंजुमन' यानी कोर्ट मेंबर नियुक्त किया गया. इसका भी दबी जुबान में विरोध किया गया था.
Anti-CAA प्रोटेस्ट के दौरान छात्रों ने जमकर किया विरोध
एंटी-सीएए आंदोलन के लिए जामिया मिल्लिया इस्लमिया का नाम सबसे ऊपर आता है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया के छात्रों ने कई दिनों तक आंदोलन किए. एक वक्त ऐसा भी आया जब दिल्ली पुलिस जामिया के अंदर प्रवेश कर गई और छात्रों के साथ बर्बरता की तस्वीरें सामने आईं. कई दिनों तक लगातार चले इस हंगामे के दौरान जामिया के छात्रों का अपने वीसी पर गुस्सा फूट पड़ा.
आरएसएस से जुड़ाव होने की खबर और छात्रों के साथ हुई बर्बरता का दंश जामिया वीसी को अपने छात्रों के गुस्से के रूप में झेलना पड़ा.
वीसी नजमा अख्तर यह भरोसा दिलाती रहीं के वह छात्रों के साथ हैं लेकिन इसके बावजूद भी छात्र पूरे आंदोलन के दौरान वीसी के विरोध में नारें लगाते रहें.
छात्रों के खिलाफ बाउंसर हायर करने का लगा आरोप
11 अक्टूबर को, जामिया मिलिया इस्लामिया के पांच छात्रों को कैंपस में एक कार्यक्रम में इजरायल की भागीदारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए 'शो कॉज' नोटिस दिया गया था. छात्रों के विरोध को देखते हुए ग्लोबल हेल्थ जेनिथ कॉन्फ्लुएंस के आयोजकों ने कथित तौर पर इजराइल को इस आयोजन के देश के भागीदार के रूप में हटा दिया था, लेकिन फिर भी इजराइली प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था. जिसके खिलाफ छात्रों ने लगातार कई दिनों तक विरोध किया.
छात्रों ने प्रोटेस्ट के नौवें दिन आरोप लगाया कि वीसी नजमा अख्तर ने छात्रों से एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक खाली कराने के लिए बल प्रयोग किया और बाउंसर्स का इस्तेमाल किया. यह प्रदर्शन नौवें दिन हिंसक रूप ले चुका था जब प्रदर्शनकारियों पर उन लोगों के एक ग्रुप ने हमला किया. जिन पर छात्रों ने प्रशासन का समर्थन करने का आरोप लगाया था.
जिन छात्रों को शो कॉज नोटिस दिया गया उनमें से एक महिला समेत पांच छात्रों में से दो के साथ मारपीट और बदतमीजी की गई. इस घटना के बाद जामिया वीसी को कई दिनों तक जामिया के छात्रों के गुस्से और विरोध का सामना करना पड़ा था.
नजमा अख्तर के कार्यकाल में जामिया की रैंकिंग हुई बेहतर
भले ही एंटी-सीएएए विरोध प्रदर्शनों में हुई हिंसा और आगजनी की वजह से जामिया मिल्लिया इस्लामिया का नाम कुछ वक्त तक गलत कारणों से चर्चा में रहा हो. लेकिन यूनिवर्सिटी की बेहतर होती रैंकिंग ने यह साबित कर दिया कि जामिया देश की बेहतरीन सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की लिस्ट में अपना वर्चस्व बनाए हुए है.
जामिया को NAAC की रेटिंग में A++ की रेटिंग मिली. इसके अलावा जामिया ने NIRF रैंकिंग, QS एशिया रैंकिंग और MDRA रैंकिंग में भी नजमा अख्तर के कार्यकाल के दौरान बेहतर रैंकिंग हासिल की. जिसका श्रेय जामिया के टीचिंग स्टाफ बॉडी ने अपनी वीसी को दिया.
कुल मिलाकर देखा जाए तो जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की वीसी अपने अच्छे और बुरे दोनों ही किस्सों और विवादों की वजह से चर्चाओं में रहती हैं. जहां एक ओर जामिया के कुछ छात्र अपने वीसी को पदमश्री मिलने पर गर्व महसूस कर रहें है तो वहीं कुछ इसे यूनिवर्सिटी को आरएसएस के एजेंडे पर चलने का इनाम बता रहें हैं.
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