दिल्ली हाई कोर्ट ने 13 जुलाई को जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई पुलिस कार्रवाई से जुड़ी सभी याचिकाओं को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया. जामिया में पिछले साल 15 दिसंबर को CAA-NRC के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि छात्रों और बाकी याचिकाकर्ताओं की सभी याचिकाओं पर वो जवाब दाखिल करे.
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने पक्षों को बाकी बचे कागजात दाखिल करने का समय दिया है. कई याचिकाकर्ताओं ने याचिकाओं पर केंद्र के जवाब पर अपने रिजॉइंडर पहले ही फाइल कर दिए हैं. इन याचिकाओं में यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ पुलिस बर्बरता के आरोप लगाए गए हैं.
दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के कथित रूप से हिंसक हो जाने के बाद पुलिस जामिया मिलिया इस्लामिया के कैंपस में घुसी थी.
पुलिस ने दावा किया था कि कैंपस के अंदर से उन पर पत्थर फेंके गए थे और हिंसा में शामिल कई लोग कैंपस में घुस गए थे, जिनके पीछे पुलिस अंदर गई थी. पुलिस ने ये भी दावा किया था कि प्रदर्शनकारियों के छात्रों के साथ हिंसा करने के बाद उन्हें कैंपस में आने को कहा गया था.
याचिकाकर्ताओं ने सुनवाई में मुआवजे के सवाल और स्वतंत्र जांच सुझाई है. कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व इंदिरा जयसिंह और सलमान खुर्शीद जैसे वरिष्ठ वकील कर रहे हैं. मामले में अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी.
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