राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सोमवार, 22 नवंबर को श्रीनगर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज को आतंकी फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने एनआईए के हवाले से इस बात की जानकारी दी है. खुर्रम परवेज को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की अलग-अलग धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है.
एनआईए ने कथित तौर पर श्रीनगर के सोनवर स्थित खुर्रम परवेज के आवास और उनके कार्यालय पर छापा मारा था.
एनआईए ने मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम को पूछताछ के लिए बुलाया, और बाद में दिन में उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
परवेज जम्मू-कश्मीर कोलिशन ऑफ सिविल सोसाइटी (जेकेसीसीएस) के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर हैं, जो मानवाधिकार समूहों और जम्मू-कश्मीर में काम करने वाले व्यक्तियों का एक संघ है जिसकी स्थापना 2000 में मानवाधिकार वकील और कार्यकर्ता परवेज इमरोज ने की थी.
खुर्रम परवेज पर लगा UAPA
परवेज के खिलाफ धारा 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाना), 18 (साजिश), 18 बी (आतंकवादी कृत्य के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की भर्ती), 38 (एक आतंकवादी संगठन की सदस्यता से संबंधित अपराध), और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 40 (एक आतंकवादी संगठन के लिए फंड जुटाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
खुर्रम परवेज पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 121 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उकसाना), और 121 ए (धारा 121 द्वारा दंडनीय अपराध करने की साजिश) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.
बता दें कि परवेज को इससे पहले सितंबर 2016 में गिरफ्तार किया गया था, जब उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए स्विट्जरलैंड जाने से रोक दिया गया था, और लोगों को विरोध करने और नारे लगाने के लिए कथित रूप से उकसाने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत मामला दर्ज किया गया था, 76 दिनों की जेल के बाद उन्हें रिहा किया गया था. 2016 में आतंकवादी कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद परवेज पर तत्कालीन महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
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