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"जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद 2,165 याचिकाएं दायर"- कानून मंत्रालय

Article 370 Abrogation: अनंतनाग MP हसनैन मसूदी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं के बारे में जानकारी मांगी थी.

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लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्रालय (Union Law Ministry) ने संसद सदस्यों द्वारा उठाए गए कई सवालों के जवाब दिए, जिनमें अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर (J&K) में प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं की संख्या और देश भर के लॉ स्कूलों में उपलब्ध कुल सीटें शामिल हैं.

अनंतनाग लोकसभा सांसद में हसनैन मसूदी ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं के बारे में जानकारी मांगी थी.

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2019 से 2023 के बीच 2,165 याचिकाएं दायर

मंत्रालय ने खुलासा किया कि अगस्त 2019 से जून 2023 तक जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस तरह की कुल 2,165 याचिकाएं दायर की गईं.

सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) के तहत हिरासत आदेशों को चुनौती देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं के निपटारे में देरी के बारे में चिंताओं का जवाब देते हुए, मंत्रालय ने कहा कि समय पर सुनवाई और कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं.

सरकार ने कहा, हिरासत में लेने वाले अथॉरिटी अपनी दलीलें दाखिल करते हैं और सुनवाई की तारीख पर वकीलों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के अलावा कोर्ट में समय पर रिकॉर्ड जमा करावाते हैं. अदालतों द्वारा ऐसी याचिकाओं का जल्दी निपटान सुनिश्चित करने के लिए, जहां भी आवश्यक हो, अन्य सभी आवश्यक कदम समय के भीतर उठाए जा रहे हैं.

लॉ कॉलेजों में सीटों की संख्या कितनी?

मछलीशहर लोकसभा सांसद बीपी सरोज ने लॉ कॉलेजों में उपलब्ध सीटों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी. इस पर सरकार ने कहा, विभिन्न लॉ स्कूलों में कुल 3,09,656 सीटें हैं. इनमें से 71,140 सीटें पांच वर्षीय एलएलबी के लिए हैं. तीन वर्षीय एलएलबी के लिए 2,11,763 सीटें हैं और एलएलएम के लिए 26,753 सीटें हैं.

मंत्रालय ने यह भी कहा कि जनवरी 2019 से 2022 तक 311 नए कानून विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की स्थापना की गई है, जिनमें से एक महत्वपूर्ण संख्या उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा और असम जैसे राज्यों में है.

सांसद शारदाबेन पटेल और रमेशभाई पटेल ने 50 वर्षों से अधिक समय से अदालतों में पेंडिंग मामलों के बारे में विवरण मांगा. मंत्रालय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम के आधार पर, शीर्ष अदालत के समक्ष ऐसा कोई मामला पेंडिंग नहीं है.

(इनपुट-IANS)

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