जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व कांग्रेसी और डेमोक्रेटिक आजाद प्रोग्रेसिव पार्टी के हेड गुलाम नबी आजाद के घर की बिजली काट दी गई. आरोप है कि गुलाम नबी आजाद ने बकाया बिजली बिल जमा नहीं कराया था, जिस वजह से जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बिजली का कनेक्शन काट दिया. इस बकाया भुगतान न करने की 'सजा' सिर्फ आजाद को ही नहीं मिली, बल्कि बीजेपी के जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रविंदर रैना सहित कई नेताओं के आवासों की बिजली आपूर्ति काट दी गई.
बीजेपी नेता रविंदर रैना का दावा है कि वह नियमित रूप से बिजली बिल का भुगतान करते हैं. उन्होंने कहा कि वो इस समय राजौरी में हैं और जम्मू पहुंचकर पता लगाएंगे कि बिजली का कनेक्शन क्यों काटा गया.
बीजेपी के एक और बड़े नेता के घर की बिजली कटी
आजाद और रैना के अलावा एक और बीजेपी नेता नीलम लंगेह के घर की बिजली भी बकाया जमा नहीं कराने का कारण काट दी गई है. नीलम लंगेह रामबन सीट से विधायक रह चुके हैं. ये तीनों नेता जम्मू शहर के गांधी नगर में सरकारी आवास में रहते हैं. बिजली विभाग के सूत्रों ने कहा कि उनका बकाया 2 लाख रुपये से अधिक हो गया था. इसलिए उनके घरों की बिजली को काट दी गई.
'सरकार ने जब बसाया था तब फ्री सुविधाओं का किया था वादा'
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सिर्फ बड़े नेताओं का ही नहीं बल्कि शहर के दूसरे हिस्से में भी बिल नहीं जमा करने वालों पर एक्शन हुआ है. बाल्मीकि कॉलोनी में रहने वाले लोगों के घरों की बिजली आपूर्ति भी बंद कर दी गई, क्योंकि उनका व्यक्तिगत बकाया भी 2 लाख रुपये से ज्यादा हो गया था.
वहीं बिजली विभाग के एक सीनियर इंजीनियर के मुताबिक, बाल्मीकि कॉलोनी के निवासियों ने दावा किया कि उन्हें जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन राज्य सरकार ने इस वादे के साथ यहां बसाया था कि उन्हें जम्मू शहर में उनके स्वच्छता कार्य के बदले सभी सुविधाएं मुफ्त प्रदान की जाएंगी.
बिजली बिलों के ब्याज में माफी की हुई थी घोषणा
सितंबर 2022 में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बकाया भुगतान न करने के कारण घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को उनके बिजली बिलों में जमा हुए ब्याज में माफी की घोषणा की थी. 5.50 लाख से ज्यादा घरेलू उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने वाली 937.34 करोड़ रुपये की छूट को प्रशासनिक परिषद की ओर से आगे बढ़ाया गया था और इसे लेकर श्रीनगर में लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के साथ बैठक हुई थी.
लेकिन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर डिफॉल्टरों ने पिछले महीने तक अपना बकाया नहीं चुकाया था.
विभाग द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 2020-21 में बिजली खरीद पर 6,317 करोड़ रुपये खर्च किए थे. 2019-20 में, इसका बिजली बिल 6,072 करोड़ रुपये और 2018-19 में 6,058 करोड़ रुपये था. इसके उलट बिजली विभाग को 2021 में उपभोक्ताओं से मात्र 2600 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)