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कश्मीर में 3 जवान शहीद: पेड़ के पीछे छिपकर मारी गोली, कब और कैसे हुई मुठभेड़?

Kashmir Encounter: तीनों जवान एक जॉइंट ऑपरेशन का हिस्सा थे जिसे आर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर शुरू किया था.

Published
भारत
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जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के अनंतनाग (Anantnag) में हुई मुठभेड़ में शहीद हुए तीनों जवानों के बलिदान को सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और भारतीय सेना के सभी रैंकों ने सलाम किया. ये तीन जवान - कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनैक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डिप्टी एसपी हुमायूं भट हैं, जिन्होंने कोकेरनाग में आतंकवादियों के साथ एनकाउंटर के दौरान अपनी जान कुर्बान कर दी है.

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दरअसल पुलिस और सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम को उस इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी, जिसके बाद गोलीबारी शुरू हुई. सुरक्षा बलों द्वारा इलाके को घेरने के बाद, छिपे हुए आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, इसके बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की. इसी दौरान तीनों जवान मारे गए.

कश्मीर में एक एंटी टेरर ऑपरेशन चलाया जा रहा था जिसमें कर्नल मनप्रीत 19 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट की कमान संभाल रहे थे. तीनों जवान एक जॉइंट ऑपरेशन का हिस्सा थे, जिसे आर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर शुरू किया था.

अनंतनाग जिले के गडूल के जंगल में ये ऑपरेशन 11-12 सितंबर की रात को शुरू हुआ था. 13 सितंबर की सुबह सुरक्षा बालों ने आतंकियों की ओर से भारी गोलीबारी का सामना किया. आतंकी एक सुविधाजनक पॉइंट पर थे और गडूल गांव में घने पेड़ों के पीछे छिपे हुए थे.

छिपे हुए आंतकियों ने गोलीबारी शुरू की जिसकी चपेट आए में तीनों अफसर गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें एयरलिफ्ट करके श्रीनगर लाया गया लेकिन उनकी जान न बचाई जा सकी.

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'रेजिस्टेंस फ्रंट' ने ली हमले की जिम्मेदारी

लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखने वाले आतंकवादी संगठन 'रेजिस्टेंस फ्रंट' ने हमले की जिम्मेदारी ली है.

हुमायूं भट के पिता गुलाम हसन भट्ट ने बुधवार, 13 सितंबर को कश्मीर के बडगाम में अपने बेटे के शव पर पुष्पांजलि अर्पित की. जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ केवल पांच वर्षों की सेवा में, हुमायूं भट ने बेहद कठिन कार्यों को संभाला, जिसमें स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप में उनका कार्यकाल भी शामिल था. यह ग्रुप विशेष रूप से आतंकवाद विरोधी अभियानों से संबंधित है.

कर्नल मनप्रीत सिंह को 2021 में सेना मेडल (वीरता) से सम्मानित किया गया था. सेना में उनकी मूल यूनिट सिख लाइट इन्फैंट्री थी और वे 19 आरआर के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) थे.

मेजर आशीष धोनैक अपने पीछे दो साल की बेटी, पत्नी और तीन बहनें छोड़ गए हैं.

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