जम्मू-कश्मीर में कई राजनीतिक दलों ने 22 अगस्त को संकल्प लिया कि वे वहां 5 अगस्त 2019 से पहले की तरह विशेष दर्जे की बहाली के लिए संघर्ष करेंगे. इन दलों ने विशेष दर्जा हटाए जाने के कदम को 'द्वेष से भरा अदूरदर्शी' और 'पूरी तरह असंवैधानिक' बताया है.
राजनीतिक दलों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि वे ‘गुपकर घोषणा’ के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो 4 अगस्त 2019 को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के गुपकर आवास पर सर्वदलीय बैठक के बाद की गई थी. इस बैठक के बाद प्रस्ताव में कहा गया था कि दल सर्वसम्मति से ऐलान करते हैं कि जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और विशेष दर्जे की रक्षा के लिए वे एकजुट रहेंगे.
इसके एक दिन बाद पांच अगस्त को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का ऐलान किया था.
संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष जीए मीर, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, सीपीएम नेता एमवाई तारिगामी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन और जम्मू-कश्मीर आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह शामिल हैं.
बयान में यह भी कहा गया कि ‘गुपकर घोषणा’ पर हस्ताक्षर करने वाले दलों के बीच बहुत कम कम्युनिकेशन हो सका क्योंकि सरकार ने कई पाबंदियां लगा रखी थीं.
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