जम्मू-कश्मीर सरकार ने 3 जून को शाह फैसल समेत तीन नेताओं पर से पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) हटा दिया. फैसल के अलावा PDP के सरताज मदनी और पीर मंसूर पर से भी PSA हटाया गया है.
पूर्व सिविल सर्वेंट और जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (JKPM) के अध्यक्ष शाह फैसल पर फरवरी 2020 में PSA लगाया गया था. फैसल पिछले साल अगस्त में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से नजरबंदी में हैं.
पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) में दो सेक्शन होते हैं- ‘पब्लिक ऑर्डर’ और ‘राज्य की सुरक्षा को खतरा’. ‘पब्लिक ऑर्डर’ सेक्शन के तहत बिना ट्रायल के छह महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है. वहीं ‘राज्य की सुरक्षा को खतरा’ के तहत हिरासत 2 साल तक की हो सकती है.
पिछले साल 13 और 14 अगस्त की रात में फैसल को दिल्ली एयरपोर्ट से इस्तांबुल की फ्लाइट लेने से रोक दिया गया था. इसके बाद उन्हें श्रीनगर लाया गया और हिरासत में ले लिया गया.
इसके अलावा पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के नेता सरताज मदनी और पीर मंसूर के खिलाफ लगे PSA को भी वापस ले लिया गया है.
5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटाए जाने के पहले जम्मू-कश्मीर में मुख्यधारा के कई नेताओं को नजरबंदी में ले लिया गया था. इन नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती शामिल थे. फारूक और उमर को छोड़ दिया गया है, लेकिन महबूबा अभी भी नजरबंदी में हैं.
उमर ने जताई खुशी
उमर अब्दुल्ला ने फैसल समेत तीन नेताओं पर से PSA हटाए जाने पर खुशी जताई है. हालांकि उन्होंने अपने ट्वीट में महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं के अब भी हिरासत में होने पर निराशा जाहिर की है. अब्दुल्ला ने लिखा, "महबूबा मुफ़्ती, हिलाल लोन समेत कई नेताओं के अब भी हिरासत में होने पर निराश हूं. उन्हें जल्द से जल्द छोड़ा जाना चाहिए."
उमर ने एक और ट्वीट में कहा कि ऐसे ही कई लोग पिछले 10 महीनों से 'नजरबंदी' में हैं. अब्दुल्ला ने लिखा, "समय आ गया है कि कानून सब के लिए एक जैसा काम करे और इन नेताओं को घर से निकलने की इजाजत मिले."
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