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J&K पेलेट पीड़ित बोले-पुलिस ने बिना चेतावनी जुलूस पर की फायरिंग

घायलों को गिरफ्तारी का डर, अस्पताल नहीं गए

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चेतावनी: कुछ पाठकों को लेख में तस्वीरें विचलित कर सकती हैं.

18 साल के सुहैल अहमद की रिश्तेदार फातिमा ने जब उसकी चोटिल बाईं आंख की पलक उठाई, तो उनकी आंखों में आंसू आ गए. पेलेट की वजह से आंख पर छोटे नीले-लाल रंग के धब्बों से वो भयानक लग रही थी और उसे छूते हुए उन्हें डर लग रहा था.

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श्रीनगर के SMHS अस्पताल के वॉर्ड नंबर 8 से फातिमा ने क्विंट को बताया, "डॉक्टरों ने ज्यादातर पेलेट निकाल दी हैं, लेकिन दो अब भी खोपड़ी में धंसी हुई हैं." उन्होंने बताया कि पिछली रात सुहैल की बुरी तरह चोटिल आंख की सर्जरी हुई.

रोते हुए फातिमा ने कहा, “डॉक्टरों ने हमें बताया कि एक और सर्जरी के बाद पता लग सकेगा कि वो उस आंख से देख पाएगा या नहीं.”

29 अगस्त को क्लास 12वीं का छात्र सुहैल उन दर्जनों लोगों में शुमार था, जो श्रीनगर के बाहरी इलाके में खोमेनी चौक के पास मुहर्रम के जुलूस का हिस्सा थे.

'ऐसा लगा जैसे गरम मटर की बारिश हुई हो'

अपने माता-पिता का अकेला बेटा सुहैल खुद से अपनी चोटिल आंख खोल नहीं पा रहा है. सुहैल ने कहा, "जब हमने जुलूस निकाला तो पुलिस ने हमें घेर लिया और बिना किसी उकसावे के आंसू गैस के गोले और पेलेट चला दी. मुझे ऐसा लगा जैसे कि गरम मटर की बारिश लगी हो. पेलेट्स ने मेरी छाती और आंख को चीर दिया और खून बहने लगा.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जम्मू-श्रीनगर हाईवे के पास मौजूद बेमिना मोहल्ले में करीब 300 लोगों के जुलूस को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले और पेलेट चलाई थी. इसमें कम से कम तीन दर्जन लोग घायल हुए हैं.

अस्पताल में पेलेट इंजरी के छह केस आए: डॉक्टर

SMHS अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ नजीर चौधरी ने बताया कि पेलेट से घायल छह लोगों को 29 अगस्त की शाम अस्पताल लाया गया था. उन्होंने कहा कि घायलों की स्थिति स्थिर है.

इनमें से दो को आंखों में गंभीर चोट आई है और उनका स्पेशल इलाज करना पड़ेगा. 
डॉ नजीर चौधरी, SMHS अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने क्विंट को बताया  

श्रीनगर पुलिस के वरिष्ठ सुपरिंटेंडेंट हसीब मुगल ने मीडिया को बताया कि श्रीनगर में लोगों के जुटने पर प्रतिबंध है. मुगल ने कहा, "जुलूस में शामिल लोगों ने प्रतिबंध का उल्लंघन किया और पुलिस पर पत्थर फेंके. उन्हें हटाने के लिए मामूली ताकत का इस्तेमाल किया गया."

पुलिस सूत्रों ने बताया कि लोगों ने हाईवे पर जुलूस निकालने की कोशिश की, 'जिसकी वजह से सुरक्षा बलों को एक्शन में आना पड़ा जिससे कि ट्रैफिक में बाधा न आए.'

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घायलों को गिरफ्तारी का डर, अस्पताल नहीं गए

पेलेट का शिकार हुआ एक और गंभीर रूप से घायल शख्स श्रीनगर के SKIMS अस्पताल में भर्ती है. अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ फारूक जान ने फोन कॉल का जवाब नहीं दिया.

नाम न बताने की शर्त पर SHMS अस्पताल में भर्ती एक घायल के रिश्तेदार ने कहा, "कई घायल लोग गिरफ्तारी के डर की वजह से अस्पताल नहीं गए."

इस अस्पताल के कॉरिडोर में दर्जनों पुलिस कर्मचारी तैनात हैं. ये अस्पताल निजी इलाज का खर्चा न उठा पाने वाले लोगों की आखिरी उम्मीद है. 

सुहैल अहमद के पिता शबीर ने कहा, "ये तो तानाशाही है. इस बच्चे का क्या अपराध था जो इसकी आंख छीन ली." अहमद परिवार कश्मीर के बडगाम जिले के मिरगुंड गांव का रहने वाला है.

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घायल है, करीब 100 पेलेट लगी हैं: डॉक्टरों ने परिवार को बताया

SMHS अस्पताल के वॉर्ड नंबर 8 के दूसरी तरफ 49 साल के नजीर अहमद अपने 16 साल के बेटे तनवीर हुसैन को चम्मच से अंडा खिलाने की कोशिश कर रहे हैं. तनवीर का चेहरा सूजा हुआ है और पेलेट के निशान हैं.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के एक स्कूल में क्लास 9 में पढ़ने वाला तनवीर कोरोना वायरस की वजह से अप्रैल में अपने घर लौटा था. अब वो अस्पताल के बेड पर दर्द से कराह रहा है.

नजीर अहमद ने कहा, “डॉक्टरों ने हमें बताया कि इसे करीब सौ पेलेट लगी हैं. कुछ निकाल दी गई हैं लेकिन कई अभी भी खोपड़ी में धंसी हुई हैं. कश्मीर के हालात की वजह से मैंने इसे अलीगढ़ पढ़ने भेजा था. मुझे क्या पता था किस्मत क्या होगी.” 

सुहैल ने बताया कि 29 अगस्त को जुलूस निकालने की इजाजत पुलिस ने दी थी. सुहैल ने कहा, "जब पुलिस अपनी गाड़ी से उतरी तो हमें लगा वो ट्रैफिक को संभालने आई है. इसकी बजाय उन्होंने अपनी बंदूकें हमारी तरफ तान कर पेलेट और आंसू गैस चला दी.

सुहैल गुस्से भरी आवाज में कहता है कि जो हो गया, वो हो गया और वो इसके बारे में बात नहीं करना चाहता. फातिमा ने कहा, "बच्चों और औरतों को भी नहीं बख्शा गया."

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