दक्षिण कश्मीर के शोपियां में पिछले महीने हुआ एक 'एनकाउंटर' जांच के घेरे में आ गया है, जिसमें 3 लोग मारे गए थे. दरअसल, राजौरी के परिवारों ने उसी इलाके से परिवार के अपने सदस्यों के लापता होने के संबंध में पुलिस के सामने शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद सैन्य अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है. इन परिवारों का कहना है कि युवक काम करने के लिए दक्षिण कश्मीर गए थे.
परिजनों के मुताबिक, आखिरी बातचीत में युवकों ने परिवार वालों से कहा था कि उन्हें शोपियां के आशिपुरा में एक कमरा मिल गया है. परिवारों ने अपनी शिकायत में कहा है कि अगले दिन उसी जगह पर 'एनकाउंटर' हुआ और उसके बाद से तीनों के बारे में कोई खबर नहीं है.
इस मामले पर 10 अगस्त को श्रीनगर स्थित रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने बताया कि सेना ने सोशल मीडिया पर 18 जुलाई को शोपियां में अभियान से जुड़ी सूचनाओं का संज्ञान लिया है.
बता दें कि सेना ने 18 जुलाई को दावा किया था कि शोपियां के ऊंचाई वाले क्षेत्र में तीन आतंकी मारे गए. रक्षा प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अभियान के दौरान मारे गए तीन आतंकियों की पहचान नहीं हो पाई और निर्धारित प्रावधानों के तहत शवों को दफना दिया गया. सेना मामले की जांच कर रही है.’’
लापता युवकों की पहचान - इबरार अहमद, 17, सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पीरी में कक्षा 12 का छात्र; इबरार अहमद, 25; इम्तियाज अहमद, 19, जिसने 12वीं पास कर ली थी और स्थानीय सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेने की योजना बना रहा था - के तौर पर हुई है. इन तीनों के घर राजौरी के पीरी कोटरांका में हैं. इन तीनों को कजन बताया जा रहा है.
इस मामले पर इबरार के एक परिजन, सलीम ने क्विंट को बताया, ‘’हम सोच रहे थे कि प्रशासन ने उन्हें क्वॉरंटीन में रखा है, इसीलिए हमने लंबे वक्त तक प्रतिक्रिया नहीं दी. फिर दिन हफ्तों में बदल गए और हमारी चिंता बढ़ गई.’’
युवकों के लंबे समय तक लापता रहने की चिंता के बीच, परिवारों ने शोपियां में स्थानीय संपर्कों तक का इस्तेमाल कर उनका पता लगाने की कोशिश की. मगर उन्हें नाकामी ही हाथ लगी.
इसी बीच परिजनों को एक जानकारी मिली. इस बारे में सलीम ने बताया, ''श्रीनगर में एक व्यक्ति ने मुझे कुछ तस्वीरें दिखाईं. मैं उनमें से दो को पहचान सकता था. तीसरे का सिर खुल गया था, वह पहचाने जाने की हालत में नहीं था.''
इसके बाद परिवारों ने 9 अगस्त को पीरी पुलिस स्टेशन में युवकों की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई.
युवकों को लेकर सलीम ने बताया, ''वे काम के लिए गए थे. हम गरीब परिवार से हैं. वे अपनी पढ़ाई जारी रखने और अपने परिवार की मदद करने के लिए कुछ पैसे कमाने गए थे. हमने कभी नहीं सोचा था कि वे इस तरह मारे जाएंगे.''
'एनकाउंटर' के बारे में पूछे जाने पर एक अन्य परिजन ने कहा, ''उनके साथ फोन थे. कॉल रिकॉर्ड्स साबित कर देंगे कि वे निर्दोष हैं.'' उन्होंने आरोप लगाया कि सेना तीन युवकों की हत्या करने के बाद खुद को बचाना चाहती है.
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