जम्मू-कश्मीर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से कहा है कि उसे 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने में कोई आपत्ति नहीं है, और हाई-स्पीड नेट कनेक्टिविटी से कोई समस्या खड़ी नहीं होगी. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है.
अखबार के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने उससे कहा, ‘’हम इसके लिए एक प्रतिनिधित्व कर रहे हैं... मुझे लगता है कि 4जी एक समस्या नहीं होगी. मुझे डर नहीं है कि लोग इसका इस्तेमाल कैसे करेंगे. पाकिस्तान अपने प्रोपेगैंडा फैलाएगा ही, भले ही 2जी हो या 4जी. यह हमेशा रहेगा.’’
हालांकि, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस मामले पर मई में अलग रुख दिखाया था.
11 मई को, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील देते हुए फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रफेशनल्स की एक याचिका को खारिज करने की मांग की थी, कि हाई-स्पीड इंटरनेट फेक न्यूज/अफवाहें फैलाने और हैवी ऑडियो/वीडियो फाइल्स के ट्रांसफर को सक्षम कर देगा, जिसका इस्तेमाल आतंकी संगठन लोगों को उकसाने और आतंकी हमलों की योजना बनाने में कर सकते हैं.
जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा 5 अगस्त, 2019 से निलंबित चल रही है, जब केंद्र ने राज्य का विशेष दर्जा खत्म किए जाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का ऐलान किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने की मांगों पर विचार करने के लिए एक विशेष समिति के गठन का आदेश दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश के आतंकवाद से त्रस्त रहने के तथ्य के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकारों को संतुलित तरीके से देखना होगा.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को दायर एक हलफनामे में, केंद्र ने कहा कि 4जी सेवाओं को बहाल करने की मांगों पर विचार करने के लिए गठित विशेष समिति ने 15 मई और 10 जून को दो बार बैठक की, और वो इस फैसले पर पहुंची कि ''अभी 4जी सेवाओं सहित इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंधों में कोई ढील नहीं दी जाएगी.''
विशेष समिति में केंद्रीय गृह सचिव, दूरसंचार विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव शामिल हैं.
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