जापान (Japan) के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा (Fumio Kishida) ने रविवार 19 मार्च को नई दिल्ली में कहा कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण (Russian attack on Ukraine) एक "बहुत गंभीर मुद्दा है जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की जड़ों को हिला रहा है". यह बोलते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके बगल में खड़े हुए थे.
फुमियो किशिदा ने पीएम मोदी के बगल में खड़े होकर संयुक्त प्रेस स्टेटमेंट में कहा, "बल के इस्तेमाल से विश्व व्यवस्था में यथास्थिति को बदलने के लिए एक पक्ष द्वारा कोई अनुमति नहीं दी जानी चाहिए," उन्होंने कहा कि टोक्यो यूक्रेन का समर्थन करना जारी रखेगा.
दोनों नेता यूक्रेन संकट के बीच सुरक्षा को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए बैठक कर रहे थे.
फुमियो किशिदा ने कहा कि "भारत और रूस दोनों मौजूदा संकट का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं और एक खुला और मुक्त इंडो-पैसिफिक सुनिश्चित करना चाहते हैं,"
एक अन्य भारतीय रीडआउट ने स्पष्ट रूप से "यह रेखांकित किया कि क्वाड (Quad) को भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के अपने मूल उद्देश्य पर केंद्रित रहना चाहिए।"
क्वाड अलायन्स के साथी सदस्यों के उल्ट - जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका - भारत ने संयुक्त राष्ट्र के तीन वोटों में मास्को के कार्यों की निंदा और वोटिंग नहीं करते हुए, केवल हिंसा को रोकने का आह्वान किया है.
अगले पांच वर्षों में $42 बिलियन का निवेश करेगा जापान
यूक्रेन के खिलाफ मास्को की "आक्रामकता" की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर नई दिल्ली के दूरी बनाने के बाद रूस ने भारत की "स्वतंत्र और संतुलित" स्थिति की प्रशंसा की है.
रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर बना हुआ है. कोल्ड वॉर के दौरान नई दिल्ली और मॉस्को करीब थे यह एक ऐसा रिश्ता है जो आज भी कायम है.
किशिदा एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आज दोपहर दिल्ली पहुंचे है.
जापान का लक्ष्य भारत में अगले पांच वर्षों में $42 बिलियन का निवेश करना है, पीएम मोदी ने अपने समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद कहा। दोनों पक्षों ने एक अलग स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी को मजबूत करने के अलावा, कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार के लिए छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)