दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में 5 जनवरी की शाम भारी हिंसा और तोड़फोड़ हुई. पुलिस इसे दो ग्रुप्स के बीच झड़प का नतीजा बता रही है. वहीं, जेएनयू छात्र संघ ने छात्रों और प्रोफेसरों पर हमले के पीछे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का हाथ होने का आरोप लगाया है. उधर एबीवीपी लेफ्ट विंग एक्टिविस्ट्स पर जेएनयू में हिंसा के आरोप लगा रहा है.
इस हिंसा में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आयशी घोष सहित 30 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
मास्क पहने गुंडों ने मुझ पर बुरी तरह हमला किया. मुझे बुरी तरह पीटा गया.आयशी घोष, अध्यक्ष, जेएनयू छात्र संघ
छात्रों ने बताया- ‘कैसे हुई घटना’
जेएनयू के स्टूडेंट विजय कुमार ने क्विंट को बताया कि 5 जनवरी की शाम साबरमती हॉस्टल के पास जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन का एक पीस टॉक था, जिसमें जेएनयू छात्र संघ और यूनिवर्सिटी के बहुत से छात्र भी पहुंचे थे.
जेएनयू के ही एक छात्र गौतम उस वक्त साबरमती हॉस्टल के पास ही मौजूद थे. उन्होंने बताया,
‘’शाम को सात बजे के करीब हम लोग साबरमती हॉस्टल के पास ढाबे पर चाय-पानी पी रहे थे. तभी एकदम से मास्क लगाए लोगों की भीड़ आई. उनके हाथ में सरिया और बाकी कई हथियार थे.’’गौतम, जेएनयू छात्र
गौतम के मुताबिक, करीब 100 लोगों की भीड़ ने अचानक पत्थरबाजी और मारपीट शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि भीड़ बिना किसी वजह के लोगों को पीट रही थी. गौतम ने बताया, ''एक लड़की साबरमती ढाबे पर कुछ पी रही थी, भीड़ ने बिना किसी वजह के उसे पीटना शुरू कर दिया.''
मौके पर मौजूद छात्रों ने बताया कि इसके बाद डरे हुए छात्र साबरमती हॉस्टल की तरफ भागे और उन्होंने दरवाजों को अंदर से बंद कर लिया.
‘’हम लोग काफी डरे हुए थे, हम साबरमती हॉस्टल चले गए. हम लोगों ने गेट बंद कर दिया. गेट कांच का था. उन्होंने अपने हथियारों से कांच का गेट तोड़ दिया. हॉस्टल में ज्यादातर छात्र अपने कमरे में बंद हो गए, फिर भी भीड़ को बाहर जो मिला उसके साथ मारपीट की गई.‘’गौतम, जेएनयू छात्र
हिंसा करने वालों को लेकर विजय का कहना है, ''हिंसा करने वालों में ज्यादातर बाहर के लोग थे. कुछ अंदर के भी लोग थे, जो एबीवीपी के थे.'' वहीं, गौतम का दावा है कि भीड़ लेफ्ट से जुड़े छात्रों को चुन-चुनकर मार रही थी, उसने एबीवीपी और राइट विंग से जुड़े छात्रों को छोड़ दिया.
जब विजय से पूछा गया कि क्या छात्रों ने पुलिस से संपर्क किया था तो उन्होंने बताया,
‘’बाहर के लोग जब कैंपस में आए थे, उनके हाथ में सरिया और मोटे-मोटे पाइप थे. उनको देखकर शाम को 6 बजे के करीब पुलिस को कॉल किया गया था और कहा गया था कि ऐसा कुछ (हिंसक) हो सकता है.’’विजय कुमार, जेएनयू छात्र
वहीं, गौतम ने बताया कि वह घटना से करीब आधे घंटे पहले मेन गेट से आए थे, तब वहां अच्छी-खासी तादात में पुलिसकर्मी मौजूद थे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि घटना के दौरान छात्रों ने पुलिस को फोन कर मदद भी मांगी थी.
यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा को लेकर जेएनयू छात्र संघ ने कहा है, ''एबीवीपी जेएनयू, आपने अपनी ही यूनिवर्सिटी, अपने प्रोफेसर्स और अपने क्लासमेट्स पर हमला किया है.'' वहीं एबीवीपी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर कर लेफ्ट विंग से जुड़े लोगों पर जेएनयू में हिंसा फैलाने का आरोप लगाया है.
सेमेस्टर रजिस्ट्रेशन का विरोध कर रहे छात्रों ने की मारपीट: जेएनयू
जेएनयू ने एक बयान जारी कर कहा है, ''कैंपस में दो ऐसे ग्रुप्स के बीच झड़प हुई, जिनमें से एक ग्रुप (सेमेस्टर) रजिस्ट्रेशन रोकना चाहता था और दूसरा रजिस्ट्रेशन और अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहता था.''
यूनिवर्सिटी का कहना है कि शाम 4:30 के करीब, छात्रों का एक ग्रुप जो रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का विरोध कर रहा था, आक्रामक रूप से एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक के सामने से चला और हॉस्टलों तक पहुंचा, प्रशासन ने तुरंत पुलिस से संपर्क किया.
इसके आगे यूनिवर्सिटी ने कहा है, ''हालांकि, जब तक पुलिस आई, रजिस्ट्रेशन का विरोध करने वाला छात्रों का ग्रुप रजिस्ट्रेशन चाहने वाले छात्रों को पीट चुका था.'' बयान में कहा गया है कि कुछ मास्क पहने लोग पेरियार हॉस्टल के कमरों में घुस गए और उन्होंने रॉड से छात्रों पर हमला किया. जेएनयू ने कहा है कि झड़प में कुछ सिक्योरिटी गार्ड भी बुरी तरह घायल हो गए.
पुलिस बोली- 2 दिन से 2 ग्रुप्स में था तनाव
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, जेएनयू में दो ग्रुप के बीच दो दिन से तनाव था. 5 जनवरी की शाम हुई हिंसा को लेकर डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (साउथवेस्ट) देवेंद्र आर्य ने कहा,
‘’आज शाम को दो ग्रुप के बीच लड़ाई हुई थी, जिसमें कुछ स्टूडेंट घायल हो गए और संपत्ति को नुकसान पहुंचा. जेएनयू प्रशासन ने शांति कायम करने के लिए पुलिस से यूनिवर्सिटी में आने का अनुरोध किया.’’देवेंद्र आर्य, डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (साउथवेस्ट)
न्यूज एजेंसी की रिपोर्टर ने बताया ‘आंखों देखा हाल’
न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्टर कुमारी स्नेहा ने जेएनयू मामले पर बताया है, ''जेएनयू में झड़प की खबर मिलने के बाद मैं मुनरिका स्थित अपने घर से यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले दोस्त को देखने के लिए रात करीब सवा आठ बजे वहां गई... सारी स्ट्रीट लाइट बंद थीं. पुलिस ने जेएनयू के गेट के पास बेरिकेड लगा रखे थे और पुलिसकर्मी मनाव श्रृंखला बनाकर खड़े हुए थे.’’
‘’मैंने बेरिकेड का फोटो खींचेने के लिए अपना फोन निकाला और जैसे ही फोटो खींचने के लिए फोन ऊपर किया, वैसे ही 40-50 लोग आ गए और मुझसे फोटो लेने का कारण पूछने लगे. मैंने उन्हें बताया कि मैं मीडिया से हूं तो उन्होंने मेरा पहचान पत्र मांगा. जब मैंने उन्हें अपना आई कार्ड दिखाया तो इसके बाद इन उपद्रवियों ने मुझसे कहा- देशद्रोहियों भाग जाओ, नहीं तो जान से मार देंगे. उन्होंने मुझे एक लात भी मारी.’’कुमारी स्नेहा, रिपोर्टर
उन्होंने बताया, ''इसके बाद मैं अपने घर की ओर जाने लगी, तो ये उपद्रवी मेरे पीछे-पीछे आने लगे. वहां खड़े दिल्ली पुलिस के कर्मियों से मैंने शिकायत की, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. पुलिसकर्मियों की वर्दी पर नाम की पट्टी नहीं लगी थी.''
‘’पुलिस कुछ नहीं कर रही थी और पूरी स्थिति पर उपद्रवियों का कब्जा था और वे लोगों से आई कार्ड मांग रहे थे.’’कुमारी स्नेहा, रिपोर्टर
''इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता और स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव आ गए. जब यादव जेएनयू के मेन गेट की ओर जा रहे थे तब एबीवीपी वालों ने उन्हें रोकने की कोशिश की. इस पर उन्होंने कहा- मैं शांति से आया हूं और पुलिस से बात करूंगा.’’
स्नेहा ने इसके आगे बताया, ''जैसे ही वह पुलिस से बात करने के लिए गए तो पुलिस ने उनका हाथ पकड़कर खींचा और कहा कि यहां हालात तनावपूर्ण हैं. इसी बीच एक दम से 40-50 लोग आ गए और उनके साथ धक्का-मुक्की करने लगे और उन्हें जमीन पर गिरा दिया. वह पुलिस की मदद से किसी तरह से उठे.''
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