रियल एस्टेट कंपनी जेपी एसोसिएट्स की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. अब कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट से यमुना एक्सप्रेस-वे के प्रोजेक्ट को बेचने की इजाजत मांगी है. जिससे वो ग्राहकों को पैसे लौटा सके. ये डील 2500 करोड़ रुपए की हो सकती है.
जेपी ने कोर्ट से इस प्रोजेक्ट को किसी दूसरी पार्टी को देने की अनुमति मांगी है. इस मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर होगी. इससे पहले कोर्ट ने जेपी को 2000 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था, जिससे उस पैसे को परेशान होम बायर्स को दिया जा सके. इसके लिए 27 अक्टूबर तक का वक्त दिया गया है.
33 हजार लोगों के फ्लैट फंसे
जेपी में करीब 33 हजार लोगों ने फ्लैट खरीदे हैं, जो अधर में लटका है. आपको बता दें कि जेपी पर करीब 8 हजार करोड़ का कर्ज है. अकेले आईडीबीआई बैंक का ही 4 हजार करोड़ बकायेदारी है. NCLT का आदेश आईडीबीआई बैंक की याचिका के बाद ही आया था.
दिवालिया घोषित होने से लोग थे परेशान
कुछ दिन पहले ही कोर्ट ने जेपी इन्फ्राटेक के दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई थी. कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के उस फैसले पर रोक लगाई थी, जो ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने 10 अगस्त को दिया था. इसके तहत कंपनी को दिवालिया श्रेणी में डालने की प्रक्रिया शुरू होनी थी.
अगस्त के दूसरे हफ्ते में जब जेपी के दिवालिया होने की प्रक्रिया शुरू होने की खबरें आईं तो हजारों फ्लैट खरीदारों ने जेपी की साइट्स पर पहुंचकर इसका भारी विरोध किया था.
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