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पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड की पहचान,मसूद अजहर का रिश्तेदार ‘लंबू’

आतंकी असगर मौला मसूद अजहर का भाई है और आतंकी संगठन के पूरे ऑपरेशन की कमान संभालता है. 

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भारतीय सुरक्षाबलों पर पुलवामा में एक बार फिर आतंकी हमले के मास्टरमाइंड की पहचान वैश्विक आतंकी मौलाना मसूद अजहर के रिश्तेदार के तौर पर हुई है. बताया गया है कि मसूद के इसी रिश्तेदार ने कार में आईईडी प्लांट किया था. इसका नाम मोहम्मद इस्माइल अल्वी है. गुरुवार सुबह सुरक्षाबलों को जो कार मिली थी, उसमे आईईडी इसे ने रखवाया था. जिसे बाद में कब्जे में लेकर डिफ्यूज किया गया.

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क्विंट के पास इस मास्टरमाइंड अल्वी की एक्सक्लूसिव तस्वीर है. इस तस्वीर में वो पीओके में जैश-ए-मोहम्मद की एक रैली के दौरान अब्दुल रऊफ असगर के साथ नजर आ रहा है. आतंकी असगर मौला मसूद अजहर का भाई है और आतंकी संगठन के पूरे ऑपरेशन की कमान संभालता है. पुलवामा में एक बार फिर घाटी को दहलाने की फिराक रखने वाले आतंकी अल्वी को कई नामों से जाना जाता है. उसे लंबू, फौजी भाई, अदनान और जब्बार के नाम से भी बुलाते हैं. कहा जा रहा है कि इसे कश्मीर घाटी में जैश का कमांडर बनाया गया है.

बता दें कि सुरक्षाबलों को पहले ही इस आतंकी हमले को लेकर इनपुट मिल चुके थे, जिसके बाद गुरुवार सुबह सुरक्षाबलों ने इस कार को बरामद कर बड़ी कामयाबी हासिल की. इस कार की डिक्की में पूरा विस्फोटक लदा हुआ था. इसके बाद जम्मू-कश्मीर के आईजी ने कहा था,

“यह ह्यूमन इंटेलीजेंस का एक शानदार ऑपरेशन था. जो पुलिस को मिला, जिसके बाद समय रहते पुलिस ने सेना और सीआरपीएफ के साथ मिलकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया. पुलवामा पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और हम सही दिशा में जा रहे हैं.”
विजय कुमार, आईजी- जम्मू-कश्मीर पुलिस

पुलवामा हमले से ठीक पहले घुसा था आतंकी

अल्वी, पुलवामा में हुए उस आतंकी हमले का भी आरोपी है, जिसमें भारतीय सुरक्षाबलों के 40 जवान शहीद हुए थे. वो पाकिस्तान स्थित पंजाब के भावलपुर के ताल्लुक रखता है और पाकिस्तान के खतरनाक आतंकी जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का करीबी रिश्तेदार बताया जाता है. सूत्रों का कहना है कि अल्वी साल 2019 की शुरुआत में पुलवामा हमले से ठीक पहले भारत में घुसा था. जिसके बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर कई आतंकी कैंप को तबाह कर दिया था. इस घटना के बाद दिल्ली और इस्लामाबाद में दूरियां और भी ज्यादा बढ़ गई थीं और तनातनी का माहौल था.

कश्मीर में सुरक्षाबलों को पहले से ही खुफिया जानकारी मिली थी कि ईद के आस-पास जैश के आतंकी साउथ कश्मीर में किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं और उनके निशाने पर सुरक्षाबल हो सकते हैं.

पुलवामा हमले की जांच कर रही एनआईए ने हाल ही में इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है. इन गिरफ्तारियों के बाद पुलवामा हमले के लिए विस्फोटक कहां से आए और इसे कैसे अंजाम दिया गया, उसकी कड़ियां जुड़नी शुरू हो चुकी हैं.

साउथ कश्मीर में एक्टिव है आतंकी

सुरक्षा मामलों से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि, आतंकी अल्वी ने ही साल 2019 में हुए पुलवामा हमले के लिए आईईडी का इंतजाम किया था. वहीं कश्मीर में ही अमोनियम नाइट्रेट तैयार किया गया. इसके अलावा पाकिस्तान से चुपके से आरडीएक्स स्मगल करके बॉर्डर पार लाया गया. तब से ही ये आतंकी अल्वी फरार चल रहा है. लेकिन बताया जाता है कि वो पुलवामा और साउथ कश्मीर के आस-पास के इलाकों में अब भी सक्रिय है. उसकी हाइट करीब 6 फीट 5 इंच बताई जा रही है, इसीलिए उसे लंबू के नाम से भी जाना जाता है.

इस मामले की जांच कर रहे सुरक्षा अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि पुलवामा में दूसरे हमले के लिए भी अमोनियम नाइट्रेट इस्तेमाल किया जा सकता था. जिससे इसकी ताकत और बढ़ सकती थी. इस विस्फोटक में जिलेटिन की छड़ों के साथ कुछ अमोनियम नाइट्रेट और आरडीएक्स का इस्तेमाल हुआ था.

कार का मालिक भी आतंकी

वहीं जम्मू कश्मीर पुलिस ने अब इस कार के मालिक का भी पता लगा लिया है. जिसमें करीब 40 किलो आईईडी लादा गया था. आईजी कश्मीर पुलिस विजय कुमार ने इस पत्रकार को बताया कि,

ये कार शोपियां के रहने वाले हिदयातुल्लाह मलिक की थी. जो पहले इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम किया करता था, लेकिन बाद में हिज्बुल कमांडर नावीद, जिसे हाल ही में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डीसीपी दविंदर सिंह के साथ गिरफ्तार किया, उसके कहने पर मलिक ने हिजबुल मुजाहिद्दीन ज्वाइन कर लिया. वो जुलाई 2019 से शोपियां में एक्टिव है.
आईजी कश्मीर पुलिस विजय कुमार

अब भारतीय सुरक्षाबलों के निशाने पर आतंकी इस्माइल अल्वी है. सुरक्षाबलों का कहना है कि वो इस तपती गर्मी में भी आतंकियों से लड़ने को तैयार हैं और साउथ कश्मीर में इस आतंकी को पकड़ने के लिए एक बड़ा सर्च ऑपरेशन भी शुरू हो चुका है. बता दें कि इससे पहले भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकी संगठनों के कई कमांडरों को मार गिराया है.

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