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झारखंड के सरकारी स्कूलों में माता-पिता की पूजा करेंगे बच्चे?

झारखंड की शिक्षा मंत्री का निर्देश

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अगर झारखंड सरकार की चली तो बहुत जल्द सरकारी स्कूलों के बच्चे, स्कूल के भीतर ही माता-पिता की पूजा करते दिखाई देंगे. झारखंड की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने राज्य सचिव और शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि राज्य के 40 हजार सरकारी स्कूलों में 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' का आयोजन किया जाए.

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बच्चों को संस्कारी बनाने की कवायद

"ॐ माताय नमः ! ॐ पिताय नमः !" झारखंड के सरकारी स्कूलों के बच्चे अब ये बोलते हुए भी सुने जा सकते हैं. वैसे तो स्कूल में बच्चे कई सबक सीखते हैं लेकिन फिर भी झारखंड सरकार को लगता है कि सरकारी स्कूलों को संस्कार देने में थोड़ा इजाफा और करना चाहिए. बच्चों में माता-पिता के प्रति भक्ति-भाव जगाने के उद्देश्य से झारखंड के सरकारी स्कूलों में 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' का आयोजन की योजना बन चुकी है. राज्य की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने विभाग के प्रधान सचिव को चिट्ठी लिखकर इस कार्यक्रम के आयोजन का निर्देश दिया है.

“जिस तरह की पूजा मंदिरों में भगवान की होती है, उसी भाव से बच्चे अपने माता-पिता की भी पूजा करेंगे. कार्यक्रम के दौरान माता-पिता से संबंधित गीत भी बजाए जायेंगे.”
नीरा यादव, शिक्षा मंत्री, झारखंड  

पैरेंट्स के पैर धोएंगे-आरती उतारेंगे बच्चे

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिक्षा मंत्री ने निर्देश दिया है कि इस कार्यक्रम का आयोजन साल में एक दिन राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में होगा. हालांकि विभाग चाहे तो सुविधानुसार अलग-अलग दिनों में भी स्कूलों में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है. लेकिन सार्वजनिक छुट्टी के दिन ही कार्यक्रम के आयोजन का निर्देश दिया गया है, ताकि बच्चों के पैरेंट्स बिना किसी परेशानी के उसमें शामिल हो सकें. निर्देश में कहा गया है कि कार्यक्रम में छात्र-छात्राएं अपने-अपने माता-पिता के पैर धोएंगे, उनकी आरती उतारेंगे और उन्हें गले लगाएंगे. नीरा यादव के मुताबिक, यह कदम परंपरा और संस्कृति को बनाए रखने में मदद करेगा.

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कैसे आया ये 'संस्कारी' विचार?

शिक्षा मंत्री के मुताबिक 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' का यह विचार उनको तब आया जब वह अपने विधानसभा क्षेत्र में एक स्कूल में गई थीं. उन्होंने बताया कि वहां आयोजित हो रहे एक कार्यक्रम में उन्होंने देखा कि बच्चे आपने माता-पिता का तिलक कर रहे थे, उन्हें माला पहना रहे थे और साथ ही बहुत अच्छा गाना चल रहा था. यह पूरा दृश्य उन्हें बहुत अच्छा लगा, और यहीं से उन्होंने इस कार्यक्रम को सरकारी स्कूलों में लागू करवाने की बात सोची.

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