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झारखंड सरकार और राजभवन में बनी रही तकरार, रमेश बैस को मिला प्रमोशन?

Jharkhand Governor: रमेश बैस करीब 19 महीने तक राज्यपाल रहे. इस दौरान वह सुर्खियों में बने रहे.

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भारत
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केंद्र सरकार ने सीपी.राधाकृष्णना को झारखंड (Jharkhand) का नया राज्यपाल नियुक्त किया है. वो रमेश बैस का स्थान लेंगे जिनका ट्रांसफर महाराष्ट्र कर दिया गया है. राजनीतिक जानकार इसे परफॉर्मेंस के आधार पर किया गया फैसला बता रहे हैं. उनका मानना है कि जिसने जैसा प्रदर्शन किया उसके आधार पर कुछ लोगों को छोटे प्रदेश से बड़े प्रदेशों में भेजकर प्रमोशन दिया गया है. झारखंड में जारी सियासी उथल-पुथल के बीच रमेश बैस का ट्रांसफर कई सवाल खड़े कर रहा है.

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रमेश बैस को क्यों भेजा गया महाराष्ट्र?

रमेश बैस भगत सिंह कोश्यारी की जगह महाराष्ट्र के गवर्नर बनाए गए हैं. अपने विवादित बयानों की वजह से सुर्खियों में रहने वाले कोश्यारी को लंबे समय से हटाने की मांग चल रही थी. उन्होंने हाल ही में राज्यपाल के पद से इस्तीफा दिया था जिसे राष्ट्रपति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया.

सरकार और राजभवन में तकरार

रमेश बैस को 14 जुलाई, 2021 को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था. वो करीब 19 महीने तक राज्यपाल रहे. इस दौरान वह सुर्खियों में बने रहे. सीएम हेमंत सोरेन से जुड़ा 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' का मामला हो या फिर विधानसभा से पास विधेयक को लौटाना हो, ऐसे तमाम मसलों पर झारखंड सरकार और राजभवन के बीच तकरार चलती रही. इस दौरान 'ऑपरेशन लोट्स' को लेकर भी राजभवन पर आरोप लगे.

राजभवन पर सत्तापक्ष ने लगाए आरोप

वरिष्ठ पत्रकार आनंद मोहन कहते हैं कि रमेश बैस ने विधानसभा से पारित पांच विधेयक लौटा दिए. हेमंत सोरेन ने खुलकर आरोप लगाया कि राजभवन साजिश के तहत सरकार को अस्थिर कर रहा है और गवर्नर बीजेपी के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि 2022 में झारखंड की सियासत, सरकार, राजभवन और ED के छापों के इर्द-गिर्द घूमती रही. 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' मामले में जो कुछ भी हुआ है, उसमें BJP कहीं भी सक्रिय नहीं दिखाई दी, वो पूरा मामला राजभवन और सरकार के बीच सिमटा रहा.

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आनंद मोहन कहते हैं, "राजनीतिक तौर पर राज्यपाल की भूमिका बहुत ज्यादा नहीं होती है. लेकिन, गैर-बीजेपी शासित राज्यों में इन दिनों राजभवन की बहुत भूमिका बढ़ गई है. बीजेपी चाहती है कि राजभवन सरकार के कामों पर निगाह रखे और उसे अकाउंटटेबल बनाये. इस काम को रमेश बैस ने बखूबी किया और कई जगहों पर हेमंत सोरेन सरकार को जवाबदेह बनाया.'

रमेश बैस को मिला प्रमोशन

उन्होंने कहा कि इससे एक संदेश गया कि राजभवन सरकार के कामों पर पैनी निगाह रखे हुए हैं और जहां भी सरकार गवर्नेंस में थोड़ी भी फेल हो रही है, वहां उसकी जवाबदेही तय की जा रही है. आनंद मोहन मानते हैं कि केंद्र सरकार ने एक तरीके से रमेश बैस को प्रमोशन देकर झारखंड से महाराष्ट्र भेजा है.

आनंद मोहन याद दिलाते हैं कि 2019 में विधानसभा चुनाव में JMM ने 30 सीट जीतकर अपने इतिहास का सबसे शानदार प्रदर्शन किया. उसके बाद से हेमंत सोरेन लगातार भावनात्मक कार्ड खेल रहे हैं, जो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है. बीजेपी की रणनीति है कि स्थानीय मुद्दे को लेकर ही वो सरकार को घेरे. इसके अलावा विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक कुल चार उपचुनाव हुए हैं लेकिन बीजेपी को एक में भी सफलता हासिल नहीं हुई. ऐसे में हेमंत सोरेन बीजेपी के लिए बार-बार चुनौती बनते जा रहे हैं.

आनंद मोहन मानते हैं कि सीपी राधाकृष्णना संघ के करीबी माने जाते हैं. उन्होंने दक्षिण में बीजेपी को बहुत मजबूत किया है. वह अनुभवी राजनेता हैं. उनके अनुभव का असर झारखंड में दिखेगा.

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