(ये स्टोरी क्विंट के स्पेशल प्रोजेक्ट 'झारखंड की डायन' का पहला भाग है. इसके तहत हम झारखंड के अंदरुनी इलाकों में जा कर पता लगाने कि कोशिश कर रहे हैं कि झारखंड की महिलाओं को आज भी 'डायन' क्यों कहा जा रहा है? क्या ये केवल अंधविश्वास है, या उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखने का एक हथियार?)
"मेरी मां संपत्ति में हक मांगने गई थी, उसको डायन का आरोप लगाकर मार दिया. जिन्होंने मारा वो मेरे परिवार के ही लोग हैं."विनोद
विनोद की मां, 65 वर्षीय होलो देवी की 9 जून 2022 को, उनके ही रिश्तेदारों, पड़ोसियों और गांव के लोगों ने डायन होने और जादू टोना करने का आरोप लगाकर बेरहमी से हत्या कर दी थी.
जादू टोना और डायन की कहानियां लगभग सबने सुनी होंगी, लेकिन झारखंड में इन कहानियों की हकीकत चौंका देने वाली है. बीते कुछ वर्षों में झारखंड, डायन के शिकार के नाम पर महिलाओं पर होने वाली सबसे भयावह और भीषण हिंसा का गवाह रहा है.
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 7 वर्षों में झारखंड में जादू टोने और डायन आरोपों से पीड़ित कम से कम 231 से अधिक महिलाओं की हत्या कर दी गई है. इसी बीच राज्य में जादू-टोना और डायन प्रताड़ना से संबंधित लगभग 4,500 मामले दर्ज किए गए.
ये आंकड़े 21वीं सदी के भारत को शर्मसार करने वाले हैं. लेकिन, इन आंकड़ों के पीछे की कहानियां आप तक नहीं पहुंच पाती हैं. इन्ही गुमनाम कहानियों में एक हैं होलो देवी.
होलो देवी झारखंड के लोहरदगा जिले के सेंहा विकासखंड के गणेशपुर गांव में रहती थीं. अपने हंसते खेलते परिवार से एक दिन उनको जुदा कर दिया गया. गांव के लोग उन्हें डायन कहने लगे और उनके अपनों ने ही उनकी निर्ममता से हत्या कर दी.
लेकिन, ऐसा क्या हुआ कि पूरा गांव होलो देवी की हत्या के लिए उमड़ पड़ा? ऐसा क्या हुआ जिसने आदिवासी समुदाय के इस गांव पर हमेशा हमेशा के लिए होलो देवी की हत्या का कलंक लगा दिया?
होलो देवी का परिवार और संपत्ति का विवाद
इसके पहले कि हम किसी और पहलू को समझें, होलो देवी के बारे में जान लेना बाकी पहलुओं को समझने में मददगार रहेगा. होलो देवी की शादी आज से लगभग 4 दशक पहले हुई थी. होलो देवी अपने पति की दूसरी पत्नी थीं.
होलो देवी के बेटे विनोद बताते हैं कि उनके पिता ने दो शादियां की थीं. उनकी पहली पत्नी ताती देवी से 5 लड़के और एक लड़की थी. होलो देवी, जो कि दूसरी पत्नी थी, उनसे 3 लड़के और और 2 लड़कियां हुईं.
"मेरी मां, बड़ी मम्मी के बेटों से संपत्ति में हक मांगने गई थी, क्योंकि पिता जी की संपत्ति पर हमारा भी हक है और मेरी मां को लगा था कि अगर हमें हमारा हक मिल जाता है, तो हमारे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में सहायता हो जाएगी. लेकिन उन लोगों ने संपत्ति में हक देने से मना कर दिया और मेरी मां को भगा दिया."विनोद, होलो देवी के बेटे
विनोद की पत्नी मानती देवी कहती हैं कि दो पत्नियां और दो परिवार होने से झगड़ा तो स्वाभाविक है, लेकिन इस तरह हत्या कहां जायज है?
"मेरे ससुर की सारी कमाई और संपत्ति बड़ी मां और उनके परिवार के लोग रखते थे. अब जहां दो पत्नियां होंगी, वहां लड़ाई स्वाभाविक है. क्योंकि मेरी सासू मां के परिवार के किसी बच्चे को उसके पिता की कमाई में कोई हक नहीं मिलता था, इसलिए वो अपना हक मांगने गई थीं. संपत्ति में कोई हक तो नहीं दिया, उल्टे जान ले ली."मानती देवी, विनोद की पत्नी
मानती देवी अपनी सास यानी कि होलो देवी के साथ हुए वीभत्स घटनाक्रम को याद करके रो पड़ीं.
एक तरफ जहां दोनों परिवारों के बीच में संपत्ति विवाद बना हुआ था, वहीं दूसरी तरफ, 2022 के शुरुआती महीनों में ताती देवी के बेटे शिवान सिंह की मृत्यु हो जाती है. बीमारी से हुई मृत्यु का ठीकरा भी धीरे-धीरे होलो देवी पर फूटने लगता है.
परिवार में एक मौत, होलो देवी पर डायन का आरोप और पंचायत
शिवान सिंह की मृत्यु भले ही बीमारी के चलते हुई हो, लेकिन जैसा कि झारखंड के आदिवासी बहुल ग्रामीणों में चलन है, शिवान सिंह को उसकी मृत्यु के पहले अस्पताल न ले जाकर ग्रामीण स्तर पर टोना टोटका, बुरी नजर, डायन शक्ति से बचाने वाले ओझा गुनी, भगत मति आदि के पास झाड़-फूंक के लिए ले जाया गया.
शिवान की मौत के बाद भी इन्हीं ओझाओं और झाड़-फूंक करने वालों ने शिवान की मौत का जिम्मेदार एक औरत को बताया.
विनोद खेरवार कहते हैं कि ओझाओं के ऐसा बताने के बाद धीरे-धीरे उनके बड़ी मां यानी कि ताती देवी के परिवार के लोगों ने होलो देवी को डायन घोषित करना शुरू कर दिया और उन पर शिवान की मृत्यु का आरोप लगाने लगे थे.
"बड़ी मां का परिवार ओझा और भगत मति के से मिलकर आया और फिर मेरी मम्मी को डायन कहना चालू कर दिया. इसी बीच शायद एकाध बार और वो लोग ओझाओं के पास गए थे. उसके बाद लौट कर आए और गांव में 9 जून को सुबह 6 बजे मीटिंग बुलाई गई."विनोद
गणेशपुर गांव में जिस जगह पर अक्सर पंचायत होती थी, उसी जगह पर 9 जून 2022 को सुबह 6 बजे गांववालों की एक मीटिंग हुई. इस मीटिंग के बारे में कुछ ही लोग जानते थे.
पुलिस के सूत्रों ने क्विंट हिंदी को बताया था कि इस मीटिंग को बुलाने और इसके क्रियान्वन में गांव के प्रमुख लोगों का हाथ था.
सुबह 6 बजे चालू हुई इस मीटिंग से शुरू हुआ होलो देवी पर हिंसा का तांडव. विनोद और उनके परिवार से उनकी मां को बुलाया गया था.
हिंसा, जहर और पहाड़ से नीचे फेंक कर हत्या
विनोद ने बताया, "सुबह जब मीटिंग चालू हुई, तब हम लोगों को बुलवाया गया. हम भी अनजान थे कि इतनी सुबह क्यों बैठक बुलाई गई है और उसमें मम्मी को क्यों बुलाया गया है? लेकिन फिर हमें लगा कि कोई बात होगी और हम भी बुलावा आने पर मीटिंग वाली जगह पहुंचे. वहां पहुंचते ही लोगों ने मेरी मां को घेर लिया और मुझे डराकर दूर खड़ा कर दिया."
विनोद आगे कहते हैं कि मीटिंग में उनके ही परिवार के लोग थे, जिन्होंने आगे बढ़कर होलो देवी को डायन कहा.
"मीटिंग में हमारे ही परिवार के लोग, हमारे ही गांव के लोग मां को गाली दे रहे थे, उनसे पूछ रहे थे कि उन्होंने डायन विद्या कहां सीखी जिसका मम्मी ने कोई जवाब नहीं दिया. जबकि वो डायन थी ही नहीं, तो क्या जवाब देती? इसके बाद मार-मारकर मां का हाथ तोड़ दिया और उन पर आरोप लगाने लगे. वह कह रहे थे की जो कुछ गलत हुआ है वह तुम्हारी वजह से ही हो रहा है."विनोद, होलो देवी के बेटे
गणेशपुर गांव में महिलाओं और पुरुषों की एक भीड़ ने होलो देवी को घसीट कर उनके साथ मारपीट की, उनको पेस्टीसाइड पिलाया और इसके बाद भी जब वो होलो देवी को मार न सके, तो उनको एक बोरे में भरकर पास के एक पहाड़ से नीचे फेंक दिया.
मानती देवी ने भरी आंखों और रुंधे हुए गले से कहा कि उनको समझ ही नहीं आया कि आखिर क्या से क्या हो गया?
"हम लोगों को उनके पास भी नहीं जाने दे रहे थे. न उनको पानी पिलाने दे रहे थे, न ही खाना खिलाने दिया. हम कैसे बचाते अपनी सास को? पूरे गांव ने घेर लिया था और बोल रहे थे कि अगर हम इनको बचाएंगे तो वो लोग हमें ही मार डालेंगे."मानती देवी, विनोद की पत्नी
अपनी बेबसी बताते हुए विनोद कहते हैं, "हम लोग वहां चुप हो गए थे. सारा गांव हमारे खिलाफ हो गया था और हम लोग बस 2- 4 आदमी थे. क्या करते ?"
विनोद ने जब क्विंट हिंदी को वो जगह दिखाई, जहां ये घटना हुई थी तब उन्होंने बताया कि गांव के लोग होलो देवी को कीटनाशक पिलाकर वहीं पर ये देखने के लिए इंतजार कर रहे थे कि वो कीटनाशक से मरती हैं या नहीं.
"मेरी मां को कीटनाशक पिलाकर गांववाले उनके मरने का इंतजार करने लगे थे. मां उसके बाद वहीं बेसुध होकर पड़ी रही."विनोद, होलो देवी के बेटे
जब इतने में भी उनको संतुष्टि नहीं मिली तब उन्होंने होलो देवी को पहाड़ से नीचे फेंक दिया.
"मेरी मां मरी नहीं थी, जिंदा थी और उसी समय गांववालों ने उसको धान वाले बड़े बोरे में डाल दिया और ले जाकर पहाड़ से धकेल दिया."विनोद, होलो देवी के बेटे
'लोगों में होलो देवी को मारने के बाद उत्साह था'
क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान सेंगरदांग पुलिस थाना, लोहरदगा प्रभारी अनंत मरांडी ने बताया कि जब पुलिस को सूचना मिली और पुलिस गणेशपुर पहुंची तो लोगों में उत्साह का माहौल था.
उन्होंने बताया, "गणेशपुर नक्सल प्रभावित गांव और वहां तक पहुंचने के लिए रास्ता बड़ा कठिन है, लेकिन जैसे ही हमें सूचना मिली हम थाने के ज्यादातर बल के साथ गणेशपुर पहुंचे. जैसे ही हम वहां पहुंचे, ग्रामीणों ने सामने से कबूल किया कि उन्होंने ने ही मारा है होलो देवी को."
पुलिस ने इस मामले में अब तक 24 लोगों को गिरफ्तार किया है और तीन आरोपी अभी भी फरार चल चल रहे हैं.
पुलिस ने यह भी बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार होलो देवी को पहले उनको लाठी डंडे से मारा गया था, उसके बाद जहर भी खिलाया गया था और उसके बाद बोरे में बांधकर फेंक दिया गया था.
महिलाओं के खिलाफ लगातार हिंसा जारी
होलो देवी के साथ जो हिंसा और बर्बरता हुई, वह अपने तरह की इकलौती घटना नहीं है.
झारखंड में डायन शिकार प्रथा के उन्मूलन के लिए बीते कई वर्षों से काम करने वाली एसोसिएशन फार सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) संस्थान और उसके संस्थापक अजय कुमार जायसवाल ने बताया कि झारखंड में डायन के आरोपों का शिकार और उसके बाद हत्याओं का दौर काफी समय से चल रहा है.
अजय बताते हैं कि इस तरह के ज्यादातर मामलों में उनकी टीम ने पाया कि यह सब कुछ संपत्ति और जायदाद से जुड़े मामले हैं, जिनके तह में ज्यादा जमीन, पैसे, जायदाद का लालच निकल कर आता है.
"अमूमन ऐसे डायन आरोपों के केसों में हमने यह पाया है कि असल में ये मामले जमीन जायदाद से जुड़े होते हैं. इनमें पीड़िता के अपने ही परिवार के लोग, पड़ोसी ग्रामीण उस पर डायन विद्या का आरोप लगाते हैं और इस तरह उस पर जमीन-जायदाद छोड़ने का दबाव बनाते हैं. अगर वो मान गई तो ठीक अन्यथा उसकी हत्या कर देते हैं."अजय, संस्थापक, एसोसिएशन फार सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस
अजय ने आगे बताया कि जो अकेली महिलाएं हैं, या फिर विधवा हैं या बूढ़ी हैं, उनके घर वाले ही उनकी जमीन हड़पने के लालच में उनपर डायन होने का आरोप लगाते हैं.
अजय यह भी कहते है कि, "ये हत्याएं एक व्यक्ति नहीं करता है बल्कि पूरा गांव मिलकर करता है."
'मां की याद आती है, अब घर सूना है'
होलो देवी के साथ हुई प्रताड़ना को भुलाने और आरोपियों के लिए जेल की मांग के बीच विनोद और मानती का घर सूना है. विनोद अपने खेतों की ओर देखते हुए कहते हैं कि वो लोग जी तो रहे हैं, जैसे पहले जीते थे वैसे ही जी रहे हैं, लेकिन मां के चले जाने के दुख से उबरना मुश्किल है.
"सर, मां रहती है तो घर में सुकून रहता है. हम कहीं भी चले जाएं, मां के बिना ये जीवन अधूरा रहता है, हमारा सहारा छीन लिया इन लोगों ने."विनोद, होलो देवी के बेटे
वहीं, मानती कहती हैं कि उनकी सास जिंदा थी तो हौसला बना रहता था, घर के दरवाजे कभी बंद नहीं होते थे
"हम बहुत सोचते हैं उनके बारे में. वह जिंदा थीं तो हमारा हौसला बना रहता था. हमारे घर के दरवाजे कभी बंद नहीं होते थे, अब जब वह नहीं हैं तो घर के दरवाजे बंद रहते हैं. आपको लगेगा कि ये कितनी मामूली बात है, लेकिन घर के बुजुर्गों का बस होना ही बहुत हिम्मत देता है."मानती देवी, विनोद की पत्नी
विनोद और मानती का कहना है कि वो लोग पढ़े-लिखे नही हैं और इसलिए कानून नहीं समझते, लेकिन होलो देवी की हत्या के पीछे जिन लोगों का हाथ है, उनके लिए जेल की सलाखों के अलावा कुछ नहीं चाहते हैं.
"उनकी याद आती है, लेकिन काम करके अपने आप को बहलाते हैं, उनको भुलाते हैं. हम यही चाहते हैं कि वो लोग कभी जेल से बाहर न आएं, वो पूरी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे सड़ते रहें, यही चाहते हैं हम."
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