केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि कश्मीरी नेता नजरबंद नहीं है, बल्कि उन्हें मेहमान के तौर पर रखा गया है. जम्मू-कश्मीर दौरे पर गए जितेंद्र सिंह ने ये भी कहा, नेताओं को 18 महीने के भीतर रिहा कर दिया जाएगा, जो उस समय से कम है जब इमरजेंसी के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी और दूसरे नेताओं को जेल में रखा गया था.
जितेंद्र सिंह ने कहा, "हमने उन्हें कोडाइकनाल नहीं भेजा, जहां जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला को भेजा गया था. उन्हें ब्राउन ब्रेड, हॉलीवुड फिल्मों के कैसेट और जिम की सुविधा दी जा रही है. मैं कहता हूं, वो घर में नजरबंद नहीं हैं, लेकिन गेस्ट हाउस हैं."
केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि पीओके हमारा है और हम जम्मू-कश्मीर की सीमाओं को बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. संसद ने पहले ही 1994 में इस पर एक प्रस्ताव पारित किया है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिन में कम से कम 500 लोगों को हिरासत में लिया गया है. ग्रेटर कश्मीर न्यूज पेपर के मुताबिक, तो ये आंकड़ा 550 के करीब है. हिरासत में लिए गए लोगों में उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती ही नहीं मुबीन शाह जैसे बिजनेस लीडर. कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां कयूम जैसे लोग भी शामिल हैं. हालांकि, इन लोगों को किसी अपराध के आरोप में हिरासत में नहीं रखा गया है. महबूबा और उमर को तो सरकार के ऐलान से एक दिन पहले ही हिरासत में ले लिया गया था. ऐसे में ये लोग ऐहतियात के तौर पर हिरासत (प्रिवेंटिव डिटेंशन) में लिए गए हैं.
एक्ट के तहत कब तक डिटेन किया जा सकता है?
आपको बता दें, अगर एडवाइजरी बोर्ड डिटेंशन को मंजूरी देता है तो एक्ट का सेक्शन 18 डिटेंशन की ज्यादा से ज्यादा अवधि बताता है. अगर डिटेंशन सार्वजनिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचने से रोकता है तो व्यक्ति को 3 महीने तक डिटेन किया जा सकता है. ये 1 साल तक बढ़ाया जा सकता है.
अगर डिटेंशन की वजह राज्य की सुरक्षा है तो व्यक्ति को 6 महीने तक डिटेन किया जा सकता है. ये 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है. सरकार अपने विवेक से कभी भी इन आदेशों को वापस ले सकती है. वरना डिटेन किया गया व्यक्ति कम से कम 3 महीने सलाखों के पीछे बिताएगा.
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