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फंडिंग की कमी से जूझ रहा JNU, अब अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर चढ़ाने की तैयारी क्यों?

जिन प्रॉपर्टी को बेचने या किराए पर देने की बात हो रही है वह 35 फिरोज शाह रोड और गोमती गेस्ट हाउस है.

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भारत
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देश की बड़ी और प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) अपनी प्रॉपर्टी को बेचने या किराए पर देने की तैयारी में है. जेएनयू को सरकार फंड करती है. यूनिवर्सिटी की यह नई योजना फंड की कमी को उजागर करती है. क्या जेएनयू में वाकई फंड की कमी है? सरकारी यूनिवर्सिटी को अपनी ही प्रॉपर्टी किराए पर क्यों देनी पड़ रही है?

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JNU पर वित्तीय दबाव

18 अगस्त को JNU ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि यूनिवर्सिटी की कई जरूरतें हैं जिसके लिए JNU को फीस बढ़ाए बिना अपना फंड बनाने की जरूरत है.

"शिक्षा मंत्रालय पूरी तरह से JNU को सब्सिडी देता है, लेकिन JNU के पास आंतरिक फंड नहीं हैं, अन्य केंद्रीय यूनिवर्सिटी आंतरिक फंड से 20% से 30% तक पैसा जुटाते हैं. पिछले सालों में JNU में छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की संख्या बढ़ गई है. JNU में छात्रों की फीस आज भी 10 रुपये और 20 रुपये है. शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने हमारी लगातार बढ़ती मांगों का समर्थन करते हुए फंडिंग बढ़ाई है, फिर भी हम बुनियादी ढांचे, किताबों, ऑनलाइन संसाधनों, सॉफ्टवेयर आदि से संबंधित बढ़ती लागतों को पूरा करने में असमर्थ हैं जो रिसर्च के लिए जरूरी है. इस स्थिति में, भविष्य के लिए योजना बनानी होगी और बिना फीस बढ़ाए राजस्व बढ़ाना होगा."
JNU का फेसबुक पोस्ट
जिन प्रॉपर्टी को बेचने या किराए पर देने की बात हो रही है वह 35 फिरोज शाह रोड और गोमती गेस्ट हाउस है.

JNU का फेसबुक पोस्ट

फोटो- स्क्रीनशॉट

JNU की कुलपति (वाइस चांसलर) शांतिश्री डी पंडित ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि यूनिवर्सिटी वित्तीय दबाव से गुजर रही है, क्योंकि केंद्र सरकार ने हर चीज पर सब्सिडी दी है. 

उन्होंने कहा, "हम इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा मांग रहे हैं. इससे हमें 1,000 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो हमारे फंड में जुड़ेगा और इससे मिलने वाला ब्याज हम पर पड़ रहे वित्तीय दबाव को कम करेगा."

उन्होंने आगे कहा कि, "हम अपनी प्रॉपर्टी का ठीक से इस्तेमाल करना चाहते हैं. हमारे पास 35 फिरोज शाह रोड और FICCI बिल्डिंग के पीछे गोमती गेस्ट हाउस है... मैं रखरखाव पर हर महीने 50,000 रुपये खर्च कर रही हूं और बदले में कुछ भी नहीं मिल रहा… गोमती गेस्ट हाउस से हर महीने 50 हजार रुपये से लेकर 1 लाख तक निकल सकता है. फिरोज शाह रोड की प्रॉपर्टी पर मैं ICC जैसी एक इमारत बनाना चाहती हूं."

बता दें कि गोमती गेस्ट हाउस JNU के पास उपल्बध कुछ गेस्ट हाउस में से एक है जहां पर अतिथियों या विदेश से आए अतिथियों को ठहराने की व्यवस्था की जाती है. दूसरा, फिरोज शाह रोड पर एक बहुमंजिला इमारत बनाने की बात वीसी ने की है जिसे निजी कॉन्फ्रेंस के लिए रेंट पर दिया जा सकता है.

मोदी सरकार के कार्यकाल में JNU को 'ज्यादा' फंड मिला?

पुणे के एक RTI कार्यकर्ता प्रफुल्ल सारदा को सूचना के अधिकार (RTI) के जरिए जो जानकारी हासिल हुई उसके मुताबिक, 2004-05 और 2014-15 के बीच (10 साल) जेएनयू को 2,055 करोड़ की सब्सिडी मिली. वहीं 2015-16 और 2022-23 के बीच (8 साल) यह सब्सिडी बढ़कर 3,030 करोड़ रुपए हो गई. इससे पता चलता है कि मोदी के कार्यकाल में JNU को लगभग 1.5 गुना ज्यादा फंडिंग मिली है.

इसी के साथ RTI में यह भी पता चला कि छात्रों पर दर्ज FIR की संख्या भी तेजी बढ़ी है. 2016 से पहले छात्रों पर कोई FIR दर्ज नहीं की गई थी. लेकिन इसके बाद से JNU प्रशासन ने अपने ही छात्रों के खिलाफ 35 FIR दर्ज करवाई हैं.

अब केंद्र सरकार के बजट पर नजर डालते हैं. इससे पता चलता है कि JNU को फंड देने वाले यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (UGC) के बजट को 61% से कम कर दिया गया है. 2023-24 बजट जहां 6,409 करोड़ वहीं 2024-25 में ये घट कर 2,500 करोड़ रुपये का रह गया है.

बजट में इस कटौती का असर उच्च शिक्षा पर पड़ेगा, जिसमें रिसर्च प्रोजेक्ट, स्कॉलरशिप और यूजीसी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है.

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'पब्लिक फंडेड यूनिवर्सिटी का प्रॉपर्टी में लेन-देन से कोई लेना देना नहीं होना चाहिए'

JNU में पिछले 12 दिनों से भूख हड़ताल जारी है, छात्रों की कई मांगे हैं लेकिन उनमें से एक यूनिवर्सिटी में प्रॉपर्टी को बेचने या किराए पर देने को लेकर भी है.

JNU छात्रसंघ अध्यक्ष धनंजय ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि, "अगर कोई सरकार द्वारा चलाई जा रही यूनिवर्सिटी प्रॉपर्टी बेचने या किराए पर देने की बात करती है तो ये अपने आप में चेतावनी है. JNU पब्लिक फंडेड यूनिवर्सिटी है, इसका क्या मतलब है कि सरकार हमें फंड देती है. अगर यूनिवर्सिटी को पैसों की कमी है तो सरकार फंड बढ़ाए."

धनंजय ने आगे कहा कि, "आज आप गोमती गेस्ट हाउस को बेचने की बात कर रहे हो, कल किसी और इमारत को बेचने की बात कहोगे, परसो एडमिन ब्लॉक को बेचने का कहोगे. यूनिवर्सिटी प्रॉपर्टी डीलिंग में क्यों लग रही है, उसे एकेडमिक उद्देश्यों के प्रति काम करना चाहिए. हमारी यूनिवर्सिटी टॉप रैंकिंग में है फिर हमें इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा क्यों नहीं मिल रहा? ये पॉलिटिकल हमला है, जियो जैसी यूनिवर्सिटी को तक ये दर्जा मिल गया है जो अब तक अस्तित्व में भी नहीं है फिर हमें क्यों नहीं?"

क्विंट हिंदी ने पीएचडी की छात्रा खुशबू शर्मा से भी बात की उन्होंने बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में यूनिवर्सिटी की हालत बिगड़ती जा रही है लेकिन फिर भी JNU के पास गैर जरूरी कामों को करवाने का पैसा है.

मैं 2018 से JNU में पढ़ाई कर रही हूं. तब से लगातार कैंपस का इंफ्रास्ट्रक्चर बिगड़ता जा रहा है, कहीं छत गिर रही है, लाइब्रेरी की छत गिर रही है, हॉस्टल ठीक नहीं है, कई जर्नल और सॉफ्टवेयर के सब्सक्रिप्शन नहीं है. बुनियादी चीजों की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है. दूसरी तरफ JNU के पास किसी की मूर्ति खड़ी करने के लिए पैसा है, वीसी के आवास के आसपास बढ़िया लाइट्स लगाई गई जबकि दूसरी जगह पहले से लगी सट्रीट लाइट्स खराब पड़ी है.
खुशबू शर्मा, पीएचडी की छात्रा, जेएनयू

खुशबू ने कहा कि, "प्रॉपर्टी को किराए पर देने को तो दे सकते हैं लेकिन क्या ये सही है? जेएनयू को सरकार फंड करती है, सरकार को पैसा देना चाहिए, प्रॉपर्टी बेचने या किराए पर देने की नौबत नहीं आनी चाहिए. ये मामला इकनॉमिक कम और पॉलिटकल ज्यादा लगता है. आप कह रहे हैं IIT भी ऐसा करता है लेकिन IIT और JNU में बहुत फर्क है. IIT एक इंस्टिट्यूट है जो केवल स्पेशल कोर्स करवाता है और जेएनयू यूनिवर्सिटी है जिस तक सभी की पहुंच है, यहां कई सारे विषय हैं और IIT, JNU की फंडिंग और फीस में भी बहुत अंतर है."

खुशबू ने भी यूनिवर्सिटी की अच्छी रैंक की बात कही और कहा कि यूनिवर्सिटी को इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा मिलना चाहिए.

बता दें कि कई सालों से शिक्षा मंत्रालय की रैंकिंग में JNU टॉप 3 में रहती ही है. इस साल भी नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ़्रेमवर्क (NIRF) के अनुसार JNU दूसरे नंबर पर है.

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भूख हड़ताल पर क्यों बैठे हैं छात्र?

छात्रसंघ अध्यक्ष धनंजय के साथ तीन और छात्र पिछले 12 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं, उनकी ये प्रमुख मांगे हैं:

  • निम्न आय वर्ग से आने वाले छात्रों को जो 2000 रुपये भत्ता (NCM) मिलता है, उसे 12 साल से बढ़ाया ही नहीं गया है. छात्रों की मांग है कि उसे आज की महंगाई के अनुकूल 5000 रुपये किया जाए. 

  • कैंपस में एक हॉस्टल बन कर तैयार है. फरवरी महीने में गृह मंत्री अमित शाह ने इसका

    उद्घाटन भी किया था लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है.

  • यूनिवर्सिटी में लगातार यौन उत्पीड़न के केस आए हैं. हाल के सालों में बढ़े हैं लेकिन आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने कोई कड़े कदम नहीं उठाए. ICC में छात्रों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए.

  • परीक्षा कराने वाली NTA सवालों के घेरे में हैं. लगातार पेपर लीक केस आए हैं. JNU में एडमिशन के लिए भी NTA ही परीक्षा करवाता है. छात्रों की मांग है कि NTA की जगह जैसे पहले JNU एंट्रेंस एग्जाम (JNU-EE) परीक्षा लेता था वैसे ही लिया जाए.

  • दिसंबर 2023 में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन के खिलाफ नए नियम लागू किए जिसके तहत प्रदर्शन करने वाले छात्रों को 20,000 रुपयों तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. संघ की मांग है कि विरोध के अधिकार को बचाने के लिए इन दिशानिर्देशों को रद्द किया जाए.

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