जेएनयू कैंपस में छात्रों और मीडिया कर्मियों के बीच तीखी बहस हो गई. छात्रसंघ की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले बहस हुई. वो किसी तरह शांत हुई तो कॉन्फ्रेंस शुरू होने के बाद फिर से बहस छिड़ गई. एकतरफा रिपोर्टिंग करने का आरोप लगाते हुए छात्रों ने मीडिया के खिलाफ खुलकर अपना गुस्सा जाहिर किया. छात्रों ने खासकर दो चैनलों को आड़े हाथों लिया और मीडिया के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
दरअसल चैनल का रिपोर्टर सवाल पूछ रहा था कि छात्र हिंसक प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं. दूसरा सवाल था कि छात्रों के प्रदर्शन के कारण आम लोगों को तकलीफ हुई, ट्रैफिक जाम लगा, एंबुलेंस तक को रास्ता नहीं मिला, उसका क्या? बस इसी बात से छात्र भड़क उठे. छात्रों ने पूछा कि निहत्थे छात्र क्या हिंसक प्रदर्शन करेंगे. हकीकत तो ये है कि छात्रों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं.
आपको शर्म आनी चाहिए कि आप सरकार से सवाल पूछने के बजाय छात्रों से सवाल पूछ रहे हैं. आप पैसे लेकर दलाली पर उतर आए हैं. ऐसा मत कीजिए नहीं तो देश बिक जाएगा.छात्रसंघ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शशिभूषण नाम का छात्र
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ने एक नेत्रहीन छात्र शशिभूषण ने दावा किया कि पुलिस ने उसकी स्थिति को जानते हुए भी पुलिस ने उसकी पिटाई की. बल्कि उठाकर पटक दिया. नारेबाजी के बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस कई बार रुकी.
क्या है मामला?
18 नवंबर को जेएनयू छात्रों ने हॉस्टल फीस विवाद को लेकर राजधानी में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान कई जगह उन्होंने पुलिस बैरिकेड तोड़े और पुलिस के साथ उनकी धक्कामुक्की भी हुई. पुलिस पर लाठीचार्ज का भी आरोप है. ये भी आरोप है कि पुलिस ने एक जगह स्ट्रीट लाइट बंद करवाकर छात्रों को पीटा. देश की राजधानी में व्यापक विरोध प्रदर्शन के एक दिन बाद जेएनयू छात्रसंघ ने 19 नवंबर को 'काला दिवस' बताया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)