दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के कुलपति, प्रोफेसर जगदीश कुमार ने कुछ केंद्रों के प्रमुखों की नियुक्ति की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने उन प्रमुखों के कोई बड़े फैसले लेने पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने नोट किया कि केंद्रों के अध्यक्षों की नियुक्ति करने की शक्ति कुलपति के पास नहीं है.
जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने कहा कि अध्यक्षों की नियुक्ति की शक्ति स्पष्ट रूप से कार्यकारी परिषद को दी जाती है, न कि कुलपति को.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा, "कुलपति, प्रथम दृष्टया, केंद्रों/विशेष केंद्रों के अध्यक्षों को नियुक्त करने की शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकते." कोर्ट ने कहा कि कुलपति द्वारा की गई नियुक्तियां प्रथम दृष्टया अधिकार के बिना हैं.
कोर्ट कुलपति द्वारा केंद्रों या विशेष केंद्रों के अध्यक्ष के रूप में प्रोफेसरों की नियुक्ति से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था. प्रोफेसर अतुल सूद ने कुलपति द्वारा की गई 9 नियुक्तियों को कार्यकारी परिषद द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती देते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिका में कहा गया है कि कुलपति ये नियुक्तियां नहीं कर सकते.
यूनिवर्सिटी के इस तर्क को खारिज करते हुए कि कुलपति ने यूनिवर्सिटी के कानून के तहत शक्तियों का प्रयोग किया था, कोर्ट ने कहा कि कुलपति ऐसी शक्तियों का प्रयोग तभी कर सकता है जब "आपातकालीन स्थिति के कारण" तत्काल कार्रवाई की जरूरत हो, जिसके बाद इसकी स्वीकृति के लिए संबंधित अधिकारी को सूचित किया जाता है.
बेंच ने सूद के वकील अभिक चिमनी की तरफ से दाखिल एक सबमिशन पर भी ध्यान दिया, जिसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के कुलपति द्वारा की गई नौ नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद भी, उन्होंने 8 अक्टूबर को अपनी आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक अन्य व्यक्ति को स्पैनिश, पुर्तगाली इटैलियन और लैटिन अमेरिकन स्टडीज/स्कूल ऑफ लैंग्युएज, लिट्रेचर और कल्चरल स्टडीज का के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया.
ये मामला अभी सिंगल जज के सामने लंबित है. सूद द्वारा दायर रिट याचिका की सुनवाई को आगे बढ़ाने के लिए सिंगल जज से अनुरोध करते हुए, हाईकोर्ट ने इसे उस अदालत के सामने 10 नवंबर को लिस्ट किया है.
नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सिंगल बेंच ने 28 सितंबर को सूद की याचिका पर सुनवाई 18 फरवरी 2022 तक के लिए स्थगित कर दी थी. सूद ने नियुक्तियों पर रोक नहीं लगाने के फैसले के खिलाफ अपील की है.
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