जेएनयू हिंसा के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए पुलिस से कहा है कि इस केस के गवाहों को समन भेजे जाएं. हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से उन वॉट्सऐप ग्रुप के मेंबर्स के फोन सीज करने को भी कहा है, जिन्हें हिंसा से ठीक पहले बनाया गया था. इसके अलावा हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी सबूतों को नहीं हटाने को लेकर निर्देश जारी किए हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश जारी करते हुए कहा,
इस केस से जुड़े सभी चश्मदीद गवाहों को समन जारी किए जाएं, इसके अलावा हिंसा से ठीक पहले बनाए गए दो वॉट्सऐप ग्रुप ‘फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस’ और ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ के सदस्यों के मोबाइल फोन सीज किए जाएं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू के 3 प्रोफेसरों की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किए. इन प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि 5 जनवरी को हुई हिंसा से जुड़ी सीसीटीवी फुटेज, वॉट्सऐप मैसेज और अन्य सबूतों को सुरक्षित रखा जाए.
हाईकोर्ट ने जारी किया था नोटिस
इससे पहले भी सोमवार को हाईकोर्ट ने इस हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार, व्हाट्सएप, गूगल और एपल को नोटिस जारी किया था. नोटिस हिंसा से जुड़े फुटेज और डेटा को सुरक्षित रखने के लिए जारी किया गया. इस दौरान पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया था कि उनको अभी जेएनयू प्रशासन से हिंसा की फुटेज को सुरक्षित रखने को लेकर को प्रतिक्रिया नहीं मिली. दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल ने कोर्ट को बताया कि पुलिस को अब तक जेएनयू प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिला है. उन्होंने ये भी बताया कि पुलिस ने व्हाट्सएप को लिखा है कि जिन दो ग्रुप पर जेएनयू की हिंसा की योजना बनाई गई, उसका सारा डेटा मतलब मैसेज, फोन नंबर, फोटो और वीडियो को सुरक्षित रखें.
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