JNU में नकाबपोश हमलावरों के छात्रों और टीचर के साथ हिंसा करने की घटना को हफ्तों बीत गए हैं. दिल्ली पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है. पुलिस ने कुछ संदिग्धों के नाम जारी किए थे लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई है. JNU प्रशासन ने दावा किया था कि CCTV फुटेज 5 फरवरी से पहले सर्वर रूम में हुई हिंसा की वजह से मौजूद नहीं है. लेकिन अब पुलिस ने इस फुटेज से जुड़ा एक बयान जारी किया है.
दिल्ली पुलिस ने बताया है कि उन्होंने JNU सर्वर में 3 से 5 जनवरी के बीच की मौजूद सारी रिकॉर्डिंग को सीज कर लिया है. पुलिस ने इन रिकॉर्डिंग को फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) में जमा करा दिया है.
इससे पहले एक RTI के जवाब में JNU प्रशासन ने CCTV फुटेज को लेकर अपने दावे के ही उलट बात कही थी.
RTI के जवाब में प्रशासन ने क्या कहा?
नैशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन के एक सदस्य की RTI के जवाब में JNU प्रशासन ने कहा था कि 3 और 4 जनवरी को हुई कथित हिंसा में बायोमेट्रिक सिस्टम और CCTV कैमरे नहीं तोड़े गए. हालांकि इससे पहले यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दावा किया था कि हिंसा के दौरान छात्रों ने सीसीटीवी और बायोमेट्रिक सिस्टम में तोड़फोड़ की थी.
यूनिवर्सिटी के कम्युनिकेशन एंड इन्फॉर्मेशन सर्विसेस (CIS) की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है. जवाब में ये भी कहा गया है कि हालांकि 5 जनवरी की दोपहर और रात के वक्त JNU के मेन गेट पर मौजूद CCTV की लगातार फुटेज उपलब्ध नहीं है.
क्राइम ब्रांच के हाथ खाली
5 जनवरी को JNU में हुई हिंसा मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कर रही है. क्राइम ब्रांच हर एंगल से केस को सुलझाने में जुट गई है. पुलिस ने जांच शुरू होने से पहले कहा था कि CCTV कैमरों की मदद से इस केस सुलझाने की कोशिश की जाएगी. लेकिन सर्वर डैमेज होने के चलते पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा था.
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, पुलिस का दावा है कि 3 जनवरी को सर्वर पर हमला हुआ था, जिसके बाद उसने काम करना बंद कर दिया. इसीलिए पुलिस को CCTV से कुछ भी नहीं मिला. पुलिस का कहना है कि इस मामले में भी एक FIR दर्ज की गई है.
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