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सरकारी नौकरियों का ‘अकाल’,सोशल मीडिया पर युवाओं का बवाल

महामारी है,सड़कों पर नहीं उतर सकते. ‘परंपरागत मीडिया’ में तवज्जों नहीं मिल रही तो युवा डिजिटल कैंपेन में जुटे हैं

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भारत
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  • सिर्फ जुलाई में ही 50 लाख सैलरीड लोगों ने गंवाई नौकरी- CMIE
  • कोरोना संकट ने इकनॉमी को रौंदा, पहली तिमाही में GDP ग्रोथ -23.9%
  • कोरोना काल में करोड़ों लोगों का रोजगार छिना
  • प्राइवेट से लेकर सरकारी नौकरियों में छंटनी की खबरें

ये ऊपर की चार लाइनें महज शब्दों की हेरफेर से बनी 'हेडलाइंस' नहीं हैं. ये लाइन तस्वीर बुनती हैं, एक ऐसे आज की जिसमें नौकरियां घट रही हैं, जीडीपी पाताल में घुस गई है और भविष्य पर लगा है क्वेश्चन मार्क? बेचैनी ऐसी है कि जो युवा सालों से सरकारी नौकरियों की तैयारी में जुटे थे, कोई रिजल्ट की प्रतीक्षा कर रहा था, कोई नियुक्ति की तो कोई एग्जाम के डेट की, ऐसे सारे युवा अपने भविष्य को लेकर आशंकित नजर आ रहे हैं. भरोसा इस कदर कम हुआ है कि #StopPrivatisation_SaveGovtJob ट्रेंड कराकर ये अपना डर बता रहे हैं कि कहीं सरकारी नौकरियों को प्राइवेट हाथों में न दे दिया जाए.

कोरोना महामारी है, लॉकडाउन है तो ये सड़क पर नहीं उतर सकते. ‘परंपरागत मीडिया’ में इनकी बात को तवज्जों नहीं मिल रही है, ऐसे में ये डिजिटल कैंपेन में जुटे हैं, ताकि अपनी आवाज ‘जो भी सुन सकता है’ उसे सुना सकें. 
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सोशल मीडिया कैंपेन चला रहे युवा

1 सितंबर से ही #SpeakUpForSSCRailwayStudents , #StopPrivatisation_SaveGovtJob जैसे हैशटैग ट्विटर पर सुर्खियां बंटोर रहे हैं. कई पार्टियों की युवा यूनिट्स का भी इसे समर्थन मिला. इस हैशटैग और कैंपेन के जरिए छात्र ये मांग रख रहे हैं कि उनकी SSC, रेलवे की परीक्षाओं में जो लेटलतीफी, अनियमितता हो रही है, उसे दूर किया जाए और सरकारी नौकरियों को प्राइवेट हाथों में जाने से रोका जाए. इसी क्रम में 5 सितंबर को #5Baje5Minutes #5बजे5मिनट जैसे कैंपेन भी चलाए गए, इस कैंपेन में कुछ युवा ताली बजाकर अपनी मांग रखते दिखे. ये हैशटैग ट्विटर पर 1 नंबर पर भी ट्रेंड हो रहा था.

महामारी है,सड़कों पर नहीं उतर सकते. ‘परंपरागत मीडिया’ में  तवज्जों नहीं मिल रही तो युवा डिजिटल कैंपेन में जुटे हैं

एक उदाहरण देखिए, एसएससी के द्वारा कराई जा रही सीजीएल 2018 की परीक्षा 2 साल से ज्यादा समय से अटकी पड़ी है जबकि रेलवे की परीक्षा 18 महीने से. अब ये छात्र कह रहे हैं कि NEET, JEE की परीक्षाओं के दौरान महामारी की सभी बाधाओं को पार कर लिया गया, एग्जाम कराए जा रहे हैं, तो इनकी परीक्षाओं में आखिर देरी क्यों हो रही है?

दिल्ली के गीता कॉलोनी के रहने वाले रितेश SSC-CGL की तैयारी करते हैं. वो कहते हैं कि 2018,2019 के एग्जाम नहीं हुए हैं, 2020 की नौकरियों के नोटिफिकेशन तक नहीं आए हैं. सरकार क्या करना चाह रही है कुछ समझ नहीं आता. वेकैंसी का हाल ये है कि IBPS क्लर्क की भर्ती जो पहले 20-20 हजार पदों पर होती थी, अब घटकर 4 हजार के आसपास हो गई है.

रितेश एक तर्क और देते हैं, उनका कहना है कि सरकार कह रही है प्राइवेट कंपनियों में जो छंटनी कटौती हो रही है, उसे हम (सरकार) नहीं रोक सकते, अब जब सरकारी चीजों का प्राइवेटाइजेशन हो जाएगा तो हमें नौकरियां कैसे मिलेंगी.

वो भी #SpeakUpForSSCRailwayStudents हैशटैग में हिस्सा ले रहे हैं. रितेश जैसे लोगों ने मिलकर लाखों ट्वीट किए. ये एक नंबर पर भी ट्रेंड कर रहा था, ट्वीट इतनी संख्या में आए कि वैश्विक स्तर पर भी ये ट्रेंड करने लगा.

छात्रों की मांग को लगातार उठाने वाले संगठन युवा हल्लाबोल के को-ऑर्डिनेटर गोविंद मिश्रा कहते हैं कि देश में सरकारी नौकरियों में भर्ती परीक्षा को गंभीरता से नहीं लेनी की आदत सी होती जा रही है. इस हैशटैग के जरिए छात्र अपनी बात रख रहे हैं और उन्हें कई नेताओं, संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है.

इस संगठन के चीफ अनुपम का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में सालों साल होने वाली देरी से निपटने के लिए ‘युवा हल्ला बोल’ ने ‘मॉडल एग्जाम कोड’ का प्रस्ताव भी दे रखा है. मॉडल कोड के तहत किसी भी भर्ती में विज्ञापन से लेकर नियुक्ति तक की पूरी प्रक्रिया 9 महीने के अंदर पूरी हो जाएगी.

कब आएंगे हमारे रिजल्ट?

बिहार में मधुबनी के रहने वाले बिपिन, दिल्ली में रहकर SSC की तैयारी करते हैं. 2017 से अबतक की टाइम लाइन बताते हैं. बिपिन का कहना है कि साल 2018 में करीब 35 दिनों का प्रोटेस्ट दिल्ली में SSC के खिलाफ हुआ था, उस प्रोटेस्ट के बाद जांच शुरू हुई लेकिन नतीजा क्या रहा, अब तक नहीं पता. 2018 में SSC का जो नोटिफिकेशन आया था दिसंबर 2019 में उसके टीयर-थ्री का एग्जाम हुआ. नोटिफिकेशन से अब दो साल बाद भी टीयर-3 का रिजल्ट नहीं आ सका है.

इन छात्रों से बातचीत में एक बात और समझ में आई कि मसला सिर्फ लेटलतीफी का नहीं. एग्जाम में धांधलियों का भी है. पहले भी कई बार SSC पर धांधली के आरोप लगे हैं और अब भी कुछ छात्र इस एग्जाम सिस्टम पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. ऑनलाइन परीक्षाओं के दौरान SSC के अलावा भी कुछ परीक्षाओं में धांधली की शिकायतें सामने आती रही हैं.

यूपी के सुल्तानपुर के रहने वाले विकास चंद्र मौर्य रेलवे ग्रुप-D और यूपी में भर्ती की परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. वो भी अपनी बातचीत में परीक्षा में देरी के साथ-साथ प्राइवेटाजेशन का डर बताते हैं. विकास कहते हैं,

उदाहरण देखिए मार्च 2019 में यूपीपीसीएल ने करीब 4 हजार सीट पर टेक्नीशियन लाइनमैन के लिए वैकेंसी निकाली थी. जुलाई में भर्ती को कैंसिल कर दिया. 2020 में इसका विरोध हुआ तो महज 608 पोस्ट की वेकैंसी निकाली गई. ये लोग प्राइवेटाइजेशन में लगे हैं.

प्राइवेटाइजेशन के मुद्दे पर तमाम नेताओं ने भी अपना विरोध दर्ज किया है. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी कहती हैं कि,

“SSC और रेलवे ने कई सारी परीक्षाओं के परिणाम सालों से रोक कर रखे हैं. किसी का रिजल्ट अटका हुआ है, किसी की परीक्षा. कब तक सरकार युवाओं के धैर्य की परीक्षा लेगी, कब तक?

युवाओं की बात सुनिए सरकार. भाषण नहीं नौकरी चाहिए.”

भीम आर्मी के चीफ चन्द्रशेखर आजाद का कहना है कि,

“निजीकरण मतलब गुलामी.”

“मैं निजीकरण के खिलाफ जल्दी एक बड़े आंदोलन की घोषणा करूंगा. सभी साथी तैयार रहें. जब सरकारी जॉब ही नहीं बचेगा, निजीकरण करके आरक्षण को खत्म करने का आधार तैयार किया जा रहा है,”

Tribal Army के चीफ हंस राज मीणा ने ट्वीट में कहा है कि,

“निजीकरण का मतलब बेरोजगारी, अशिक्षा, भुखमरी, गरीबी और बहुत सी समस्याओं से गुजरना पड़ेगा. सिर्फ शोषण और शोषण होगा. क्या आप ये होने देंगे?”

नौबत ये है कि निजीकरण आज की जरूरत भी बन गई है. सरकार को इंफ्रा से लेकर जन कल्याण की योजनाएं चलाने के लिए पैसा चाहिए तो विनिवेश करना होगा. मंदी से उबरने के लिए सरकारी खर्च बढ़ाना होगा और इसके लिए फिर से पैसा चाहिए जो एयर इंडिया जैसी सरकारी कंपनियों को बेचकर आएगा. दिक्कत की बात ये है प्राइवेट सेक्टर भी ध्वस्त हो रहा है. तो छात्रों की बड़ी चिंता ये है कि प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां नहीं मिलेंगी और सरकारी नौकरियां भी नहीं आएंगी तो वो जाएं तो कहां जाएं.

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