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'रूस बेस्ट-IELTS की जरूरत नहीं': भारतीयों को एजेंट कैसे यूक्रेन युद्ध में धकेल रहे?

Indian youth stuck in Russia: हमने CBI की FIR में नामित ट्रैवल एजेंसियों की गहराई से जांच की और देखा कि वे बिना सोचे-समझे नौकरी की चाह रखने वालों को कैसे फंसाते हैं?

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"100 प्रतिशत गारंटी 7 दिनों में रूस के लिए स्टडी वीजा."

"IELTS के साथ या उसके बिना... अमेरिका में पढ़ाई करें...वीजा के बाद ट्यूशन फीस का भुगतान करें"

“यहां [रूस में] कोई युद्ध नहीं है, केवल सीमा के पास के क्षेत्रों में है. उन्हें अपनी रोजाना की जरूरतों को पूरा करने के लिए मैनपावर की जरूरत है, यहां आप काम आ सकते हैं."

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बेईमान ट्रैवल एजेंट, ऐसी झूठी "गारंटी" देने का वादा करते हैं. इन लोगों ने न केवल खुद को 'विदेशों में भर्ती कराने वाले विशेषज्ञ' के रूप में स्थापित किया है, बल्कि भारत के अंदर और बाहर भी बड़ा नेटवर्क बनाया है.

ऐसे झूठे विज्ञापनों के जरिए से, ये एजेंट विदेश में काम करने के इच्छुक भोले-भाले भारतीयों को निशाना बनाते हैं और अक्सर उन्हें भारत में जितना मिल सकता है, उससे ज्यादा वेतन और बेहतर संभावनाओं का लालच देते हैं. कई भारतीय इन जॉब स्कैम का शिकार हुए हैं, अपनी सुरक्षित यात्रा के लिए इन एजेंटों को भारी रकम देने के बावजूद विदेश में ये लोग खुद को जोखिम में डालते हैं.

सात भारतीय ने एक वीडियो मैसेज के जरिए आरोप लगाया था कि उन्हें एक ट्रैवल एजेंट ने धोखा दिया और रूसी सेना में शामिल कराया. पिछले हफ्ते एक और ताजा वीडियो सामने आया, जिसमें वे लोग भारत सरकार से सुरक्षित वापसी की मांग कर रहे थे. इनमें से दो युवा हरियाणा से और पांच पंजाब से हैं.

अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इस मामले की जांच कर रही है और इस महीने की शुरुआत में दर्ज की गई एफआईआर में एक रूसी एजेंट और चार कंपनियों सहित 15 व्यक्तियों का नाम शामिल किया गया है.

इन सब पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) और 370 (तस्करी किए गए व्यक्ति का शोषण) के तहत आरोप लगाए गए हैं.

एफआईआर में, सीबीआई ने कहा:

“यह पता चला है कि रूस पहुंचने पर, इन भारतीय नागरिकों के पासपोर्ट रूस में एजेंटों द्वारा ले लिए गए/छीन लिए गए. उन्हें जंग लड़ने की ट्रेनिंग दी जा रही है और रूसी सेना की वर्दी और बैच मुहैया कराए जा रहे है. इसके बाद, इन भारतीय नागरिकों को उनकी मर्जी के खिलाफ रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में फ्रंट बेस पर तैनात किया गया/किया जा रहा है और उनकी जिंदगी को गंभीर खतरे में डाल दिया गया है. यह पता चला है कि जंग के मैदान में मानव तस्करी के शिकार हुए कुछ पीड़ित भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे."

क्विंट ने FIR में शामिल ट्रैवल कंसल्टेंसी कंपनियों की गहराई से जांच की और देखा कि कैसे वे नौकरी चाहने वालों को अपनी जान की कीमत पर पैसा कमाने के लिए आकर्षित करते हैं:

बाबा व्लॉग्स ओवरसीज रिक्रूटमेंट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड

"बाबा व्लॉग्स खुद को "2016 से दुबई और भारत में लीडिंग जॉब कंसल्टेंसी और भर्ती एजेंसी" बताता है. जानकारी देने वाले वेबसाइटद कंपनी चेक के मुताबिक, कंपनी 25 अगस्त 2023 को ठाणे, महाराष्ट्र में रजिस्टर हुई थी. सीबीआई की एफआईआर में फर्म के निदेशक आरोपी संख्या 10 फैसल अब्दुल मुत्तलिब खान और 11 मोहम्मद सुफियान दाऊद अहमद दारुगर हैं.

फैसल खान, जो एक लोकप्रिय यूट्यूबर है, उसने 17 मार्च 2018 को अपने फेसबुक पर एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें 1 लाख सब्सक्राइबर्स पूरे करने पर उसे 'यूट्यूब सिल्वर बटन' मिला था.

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फैसल खान अपना यूट्यूब सिल्वर बटन प्लेक दिखाता हुआ

(फोटो: फेसबुक/फैसल खान)

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फैसल ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो में कहा था, "यह कोई रॉकेट साईंस नहीं है. आपके पास ड्राइव टैंक नहीं हैं, आप सीमा पर फायरिंग या लड़ाई नहीं करते हैं. यहां स्थिति समान्य है. यहां 1,000 सैनिक हैं. यहां कोई युद्ध नहीं है बल्कि केवल सीमा से लगे इलाकों में युद्ध है. यहां उन्हें रोजमर्रा की जरूरतों का ख्याल रखने के लिए लोगों की जरूरत होती है. उन्हें मैनपावर की जरूरत है, जहां आप फिट बैठते हैं.” हालांकि, अब इस पोस्ट को हटा दिया गया है.

2023 में पोस्ट किए गए और रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में रिकॉर्ड किए गए कथित वीडियो में, उसने यह भी कहा था कि इस काम में नष्ट और ध्वस्त इमारतों को खाली करना शामिल होगा और आश्वासन दिया कि यह ज्यादातर "सिक्योरिटी" या "हेल्पर का काम" है.

खान की इस बेतुकी बातचीत में 30 साल का मोहम्मद असफान फंस गए, जो कथित तौर पर पिछले साल नवंबर में बाबा व्लॉग्स के जरिए रूस गए थे और धोखे देकर उन्हें रूसी सेना में शामिल होने के कॉन्ट्रैक्ट पर साइन कराया गया. वे तेलंगाना के रहने वाला है और चेन्नई से शारजाह होते हुए मास्को पहुंचे.

द क्विंट से पहले बात करते हुए, असफान के भाई मोहम्मद इमरान ने कहा कि असफान "बाबा व्लॉग्स पर आंख मूंदकर भरोसा करता था" लेकिन रूसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किए जाने के बाद कंपनी ने मदद की उनकी गुहार को नजरअंदाज कर दिया.

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"अगले ही दिन, उन्होंने उनसे एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा, जो रूसी भाषा में लिखा हुआ था. जब असफान ने उनसे पूछा कि कॉन्ट्रैक्ट किस बारे में था, तो उन्होंने कहा कि यह उस नौकरी से जुड़ा था, जिसके लिए वह यहां आया था- इसलिए उन्होंने उन पर आंख मूंदकर भरोसा किया और हस्ताक्षर कर दिया. लेकिन असल में यह रूसी सेना में शामिल होने का समझौता था."
मोहम्मद इमरान, असफान का भाई

इस बीच, 35 भारतीयों को रूस भेजने वाले फैसल खान ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह इस हालत में खुद "पीड़ित" है. उसने यह भी दावा किया कि ऑफर लेने वाले उम्मीदवारों को साफ तौर से जोखिमों के बारे में बताया गया था और उन्होंने बढ़ी हुई मजदूरी के बदले में जाने का ऑप्शन चुना था

उसने अखबार को बताया:

“मेरा इरादा किसी को धोखा देने और उन्हें नुकसान पहुंचाने का नहीं है. अगर मैं लोगों को धोखा दे रहा होता तो क्या मैं कोई सुराग छोड़ता? रूस में लोगों को जो काम करना होगा, उसके बारे में समझाने वाले मेरे सभी वीडियो अभी भी ऑनलाइन हैं और मैंने उन्हें हटाया नहीं है क्योंकि मैं दोषी नहीं हूं."

उसके चैनल बाबा व्लॉग्स पर 3 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स थे लेकिन अब यूट्यूब ने इसे हटा दिया है. इंस्टाग्राम पर फैसल का चैनल भी डाउन हो गया है.

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कंपनी की वेबसाइट पर दिए गए फोन नंबर सर्विस में नहीं हैं. क्विंट ने ईमेल के जरिए कंपनी से संपर्क किया है, जवाब आने पर इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

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एडवेंचर वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, अंबाला

एडवेंचर वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, अंबाला को जब आप Google पर सर्च करेंगे तो आप कंपनी के लिंक्डइन प्रोफाइल पर पहुंचेंगे, जो कहती है कि यह "भारत की नंबर 1 लाइसेंस प्राप्त इमिग्रेशन कंसल्टेंसी है." यह लगभग एक साल पहले की आखिरी पोस्ट है, जिसमें पंजाब के एक व्यक्ति को "रूस स्टडी वीजा मिलने" का का दावा किया गया था.

कंपनी की रेजिस्टर्ड वेबसाइट adventureoverseas.io और adventureimmigration.org अब इंटरनेट डोमेन कंपनी गोडैडी पर होस्ट नहीं की जाती है.

एडवेंचर ओवरसीज कंसल्टेंसी के नाम से एक और वेबसाइट adventureoverseas.in पर और उसी लोगो के साथ, क्लाइंट की "वीजा सफलता" के कम से कम 56 पोस्ट किए गए थे, जिनमें से 30 रूस के लिए थे.

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कथित तौर पर एडवेंचर ओवरसीज कंसल्टेंसी के जरिए से वीजा हासिल करने वाले क्लाइंट के प्रशंसापत्र.

(फोटो: स्क्रीनशॉट/कंपनी की वेबसाइट)

जौबा कॉर्प के अनुसार, कंपनी की स्थापना 18 जनवरी 2023 को अंबाला, हरियाणा में हुई थी. कंपनी का निदेशक मंजीत सिंह बरनाला है, बरनाला के लिंक्डइन प्रोफाइल में, उसने खुद को 2014 से एडवेंचर ओवरसीज कंसल्टेंसी का संस्थापक और सीईओ बताया है.

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मनजीत सिंह बरनाला

(फोटो: लिंक्डइन/एडवेंचर ओवरसीज कंसल्टेंसी)

दिलचस्प बात यह है कि कंपनी ने पिछले पांच सालों में कम से कम तीन बार अपना पता बदला है. दो साल पहले तक कंपनी अपनी लोकेशन छत्तीसगढ़ के रायपुर और फिर अंबाला का पता बताती थी.

कंपनी के लिंक्डइन पेज पर पोस्ट में लिखा है:

"जर्मनी में स्टडी करें...6 दिनों में ऑफर लेटर हासिल करें."

"IELTS के साथ या उसके बिना... अमेरिका में पढ़ाई करें...वीजा के बाद ट्यूशन फीस का भुगतान करें"

तीन साल पहले के लिंक्डइन पोस्ट से पता चलता है कि कंपनी का पता लुधियाना, पंजाब में है. ये पोस्ट रूस, यूक्रेन, यूके, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के लिए अप्रूव वीजा एप्लीकेशन के टेस्टीमोनियल जैसे लगते हैं.

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कंपनी का दावा है कि उसने 50,000 से ज्यादा वीजा एप्लीकेशन प्रोसेस करवाए हैं.

इन प्रमोशनल पोस्ट के साथ दिए गए फोन नंबर अब बंद हो चुके हैं. क्विंट ने ईमेल के जरिए कंपनी से संपर्क किया और उनका जवाब आने पर इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

कंपनी के इंस्टाग्राम हैंडल पर आखिरी रील 16 मार्च को शेयर हुई थी और 12वीं पास की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के लिए रूस में 1 लाख रुपये का मासिक वेतन देने का वादा किया गया था. सभी पोस्ट पंजाबी भाषा में हैं, जिनमें साइप्रस, माल्टा, फिनलैंड, आयरलैंड और कनाडा सहित कई देशों में स्टडी वीजा दिलाने का वादा किया गया है.

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24x7 आरएएस ओवरसीज फाउंडेशन, दिल्ली

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सुयश मुकुट

फोटो: @mukut_suyash/X

जौबा कॉर्प के अनुसार, कंपनी को ठीक एक साल पहले 20 जनवरी 2023 को दिल्ली में रजिस्टर किया गया था. इसका निदेशक सुयश मुकुट और गरिमा बालयान हैं, हालांकि, बाद वाले का नाम सीबीआई के एफआईआर में नहीं है.

सुयश मुकुट खुद को आरएएस ओवरसीज सर्विसेज का चेयरमैन और फाउंडर बताता है.

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुयश अनीता मुकुट का बेटे हैं, जो मध्य प्रदेश में धार नगर परिषद से बीजेपी प्रतिनिधि हैं. क्विंट इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पाया है. सोशल मीडिया 'X' पर एक प्रोफाइल जो कथित तौर पर मुकुट की है, उसमें मध्य प्रदेश बीजेपी नेताओं को बढ़ावा देने वाले पोस्ट हैं.
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कंपनी की वेबसाइट "विदेश में आपके स्टडी के अनुभव को सहज, तनाव मुक्त और यादगार बनाने" का वादा करती है और रूस से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के इच्छुक लोगों को करियर काउंसलिंग देने का दावा करती है. इंस्टाग्राम पर इसके 2,500 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंसल्टेंसी फर्म ने पिछले कुछ महीनों में 180 से ज्यादा युवाओं को स्टूडेंट वीजा पर रूस भेजा है. सीबीआई अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ये युवक कहां हैं और क्या उन्हें रूसी सशस्त्र बलों के साथ लड़ने के लिए भेजा गया है. केंद्रीय जांच एजेंसी यह भी जांच करने की कोशिश कर रही है कि असल में इनमें से कितने छात्रों का कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एडमिशन हुआ है.

कंपनी की वेबसाइट पर दिए गए फोन नंबर सेवा से बाहर हैं. क्विंट ने ईमेल के जरिए कंपनी से संपर्क किया और उनका जवाब आने पर इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

ओएसडी ब्रोस ट्रेवल्स एंड वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड

इस कंपनी की स्थापना 14 अक्टूबर 2016 को हुई थी, जौबा कॉर्प के अनुसार, इसका संचालन दीपक कुमार तारकनाथ पांडे और राकेश तारकनाथ पांडे द्वारा किया जाता है. कंपनी मुंबई में रजिस्टर्ड है. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, इसकी एक शाखा दिल्ली में और दूसरी थाईलैंड के चोनबुरी प्रांत में है.

1,300 से कुछ अधिक फॉलोअर्स वाला कंपनी का फेसबुक पेज, "7 दिनों में रूस स्टडी वीजा के लिए 100 प्रतिशत गारंटी देता है." गारंटी को थाईलैंड और न्यूजीलैंड के लिए भी बढ़ाया गया था.

अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में, संस्थापक भाई - दीपक कुमार और राकेश - को अक्सर अपने कथित क्लाइंट से मॉस्को में स्टडी के अनुभवों पर प्रशंसापत्र लेते देखा जाता है.

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ओएसडी ब्रदर्स ट्रैवल्स का यूट्यूब चैनल

(फोटो: स्क्रीनशॉट)

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लगभग तीन हफ्ते पहले यूट्यूब पर पोस्ट किए गए अपने नए वीडियो में, क्लाइंट को कनाडा के लिए "गारंटीयुक्त" वीजा दिलाने की बात कर रहे हैं, भले ही इससे पहले इनकार कर दिया गया हो."

"6,000 रुपये में रशियन मिले ना मिले, रूस का वीजा जरूर मिल जाएगा." कंपनी के संस्थापकों में से एक को अपने प्रचार वीडियो में महिलाओं को लेकर अभद्र टिप्पणी करते हुए पाया गया.

कंपनी के पेज को एक लाख फॉलोअर्स तक पहुंचने के लिए यूट्यूब से 'सिल्वर बटन' मिला हुआ है, संस्थापकों ने इस साल 15 जनवरी को एक और शॉट वीडियो में आरोप लगाया. इसका वर्तमान फॉलोअर्स बेस 125K है.

कंपनी ने "15 दिनों में स्टडी वीजा देने का भी वादा किया, भले ही इसे पहले अस्वीकार कर दिया गया हो," इस चेतावनी के साथ कि यह एक "लैंग्वेज कोर्स है, इसलिए कोई केवल तीन महीने के लिए रूस का वीजा हासिल कर सकता है, लेकिन वहां पहुंचने के बाद इसे 11 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है.

कंपनी की वेबसाइट पर दिए गए फोन नंबर चालू नहीं हैं. क्विंट ने ईमेल के जरिए कंपनी से संपर्क किया और उनका जवाब आने पर इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा

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