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जोशीमठ की तरह ही विकास की भेंट चढ़ा रुद्रप्रयाग का मरोड़ा गांव, घरों में दरारें

प्रभावितों का कहना है कि पिछले कई महीनों से रेलवे की ओर से उन्हें किराया नहीं दिया गया है.

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जोशीमठ (Joshimath) के बाद भू-धंसाव (Land Slides) की चपेट में रुद्रप्रयाग का मरोड़ा गांव आ गया है. यह गांव प्रस्तावित ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन की वजह से धंस रहा है. इस गांव के तकरीबन चालीस परिवारों में से आधे परिवारों ने गांव छोड़ दिया है. वह किराए के मकान में रह रहे हैं. जबकि आधे परिवार टीन शेड में रहने के लिए मजबूर हैं.

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प्रभावितों का कहना है कि पिछले कई महीने से रेलवे की ओर से उन्हें किराया नहीं दिया गया है. वहीं टीन शेड में बिजली-पानी की सुविधा तक नहीं है.

प्रशासन की ओर से प्रभावितों को नवंबर महीने में मुआवजा देने का वायदा किया गया था, लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया.

बताया जा रहा है कि मुआवजे की धनराशि बेहद कम जी रही है. इस धनराशि से प्रभावित लोग बमुश्किल जमीन ही खरीद सकते हैं. प्रभावित लोग चाहते हैं कि उनका पुनर्वास हो. उन्हें मकान और गौशाला बनाकर दी जाय. साथ ही खेती के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए. ताकि वह पशुपालन और खेती-बाड़ी से अपनी आजीविका चलाते रहें. अभी तक उनकी आर्थिकी का मुख्य स्रोत पशुपालन और खेती-बाड़ी ही है.

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