उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में एक पत्रकार को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि उसने सरकारी स्कूल में फर्श पर पोछा लगाते बच्चों की तस्वीरें क्लिक कर ली थीं. मामले के तूल पकड़ने के बाद जिला मजिस्ट्रेट ने पत्रकार की गिरफ्तारी के मामले की जांच के निर्देश दिए हैं.
पत्रकार को जबरन वसूली के झूठे आरोपों और सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पत्रकार सुधीर सिंह, ने साथी पत्रकारों के साथ जिलाधिकारी एनपी सिंह से मुलाकात की, और उन्हें कथित अवैध गिरफ्तारी की जानकारी दी.
पत्रकार के साथ कोई अन्याय नहीं होगा. हम इस मामले को देखेंगे.एनपी सिंह, जिलाधिकारी, आजमगढ़
जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.
सुधीर सिंह ने बताया कि स्थानीय पत्रकार संतोष जायसवाल को पिछले हफ्ते शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया था, जब उन्होंने स्कूल में फर्श पर पोछा लगाते कुछ बच्चों की तस्वीरें ले ली थीं. बाद में जायसवाल ने पुलिस को फोन करके स्कूल में बच्चों से पोछा लगवाए जाने की शिकायत खी थी.
पत्रकार सिंह ने बताया कि जायसवाल के फोन पर पुलिस स्कूल पहुंची और जायसवाल के साथ-साथ ऊदपुर प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल राधेश्याम यादव को पुलिस स्टेशन ले गई.
प्रिंसिपल ने पत्रकार पर लगाए ये आरोप
फूलपुर पुलिस स्टेशन में, स्कूल के प्रिंसिपल ने जायसवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज की, जिसके आधार पर पत्रकार जायसवाल के खिलाफ FIR दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
पत्रकार के खिलाफ 6 सितंबर, 2019 को दर्ज कराई गई FIR संख्या 237 में स्कूल प्रिंसिपल की ओर से कहा गया है कि पत्रकार जायसवाल अक्सर स्कूल आते थे. स्कूल में वह शिक्षकों और छात्रों के साथ दुर्व्यवहार करते थे. शिकायत में कहा गया है कि पत्रकार जायसवाल शिक्षकों पर उनके अखबार की सदस्यता लेने का दवाब बनाते थे.
प्रिंसिपल यादव ने शिकायत में कहा है कि जिस दिन की ये घटना है उस दिन जायसवाल स्कूल आए और उन्होंने स्कूल के बच्चों से फर्श पर पोछा लगाने के लिए कहा, ताकि वह तस्वीरें क्लिक कर सकें.
यादव का कहना है कि जब उन्होंने जायसवाल का विरोध किया तो वह मौके से चले गए, लेकिन अपना वाहन स्कूल परिसर में ही छोड़ गए. शिकायत के मुताबिक, बाद में पत्रकार ने पैसों की मांग की.
पत्रकार का दावा- पुलिस निकाल रही पुरानी खुन्नस
दिल्ली स्थित एक न्यूज एजेंसी के लिए बतौर स्ट्रिंगर काम करने वाले सुधीर सिंह ने पत्रकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज किया है. सिंह का कहना है कि स्थानीय पुलिस पत्रकार जायसवाल के खिलाफ खुन्नस निकाल रही है.
सिंह ने बताया कि दरअसल-
जायसवाल ने पिछले मई महीने में फूलपुर थाने के एसएचओ शिवशंकर सिंह की एसयूवी की तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट कर दी थी. एसएचओ की बिना नंबर की एसयूवी के शीशे काले थे.
पत्रकार सिंह ने बताया कि ट्विटर पर जायसवाल की पोस्ट का जवाब देते हुए पुलिस ने कहा था कि एसएचओ की एसयूवी की तस्वीर पुरानी थी और वाहन का पहले ही रजिस्ट्रेशन हो चुका था और गाड़ी का नंबर दिया जा चुका है.
बाद में एक स्थानीय लड़के ने दावा किया कि एसएचओ की तरफ से अपनी एसयूवी का बताया गया नंबर उसकी मोटरसाइकिल का नंबर था. इस पूरे मामले को लेकर जायसवाल ने अपने अखबार में खबर छापी थी, तब से ही फूलपुर थाना पुलिस पत्रकार जायसवाल के खिलाफ खुन्नस पाले हुए थी.
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