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मोदी सरकार के बारे में क्या राय रखते थे कुलदीप नैयर?

सरकारों की आलोचना करने वाली मुखर आवाज थे कुलदीप नैयर

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भारत
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वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर को याद करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सत्ता और विपक्ष के तमाम बड़े नेता पीछे नहीं रहे. कुलदीप नैयर की खूबी यही थी कि अपनी 70 साल की पत्रकारिता में वो किसी सरकार के सामने झुके नहीं.

कलम के जरिए कुलदीप नैयर हमेशा सत्ता के खिलाफ मुखर होकर लिखते रहे. यही वजह है कि इंदिरा सरकार ने इमर्जेंसी के दौरान उन्हें जेल में डाल दिया.

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समय के साथ नैयर की उम्र भले बढ़ी पर सरकार के खिलाफ लिखने में उनकी कलम के पैनेपन में कोई कमी नहीं आई. उन्होंने मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ भी जमकर लिखा.

‘मोदी सरकार में इमरजेंसी जैसे हालात’

25 जून 2017 को बीबीसी हिंदी पर, ‘इमरजेंसी जैसे हालात में रह रहे हैं हम लोग?’ शीर्षक से कुलदीप नैयर का लेख प्रकाशित हुआ था. इसमें उन्होंने मोदी सरकार की तुलना इंदिरा सरकार में लगी इमरजेंसी से की थी.

नैयर ने लिखा

नरेंद्र मोदी का एकछत्र राज इस मामले में और बदतर हो गया है कि बीजेपी सरकार के किसी भी कैबिनेट मंत्री की कोई अहमियत नहीं रह गई है और कैबिनेट की सहमति सिर्फ कागजी कार्रवाई बन कर रह गई है. सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर किसी भी इमरजेंसी जैसे हालात की मुखालफत करनी चाहिए, जैसा कि पहले भी कर चुके हैं.’
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‘मोदी सरकार के पास नहीं कश्मीर नीति’

15 फरवरी 2018 को दैनिक जागरण में, ‘निराश करते हैं हालात, भारत के पास नहीं कश्मीर नीति’ शीर्षक से कुलदीप नैयर ने लिखा था कि कश्मीर को लेकर मोदी सरकार के पास कोई ठोस नीति नहीं है.

उन्होंने लिखा...

‘जम्मू-कश्मीर में सेना के कैंपों और अस्पतालों आदि पर आतंकवादी हमले की ये घटनाएं पहली बार नहीं हैं, लेकिन परेशान करने वाली बात यह है कि ये घटनाएं नियमित हो रही हैं. हिंसा रोकने में ‘नई दिल्ली’ सफल नहीं हो सकी है. शायद केंद्र की मोदी सरकार कारण को पकड़ नहीं पा रही है. अगर हिंसा रोकनी है तो कारण से निपटना पड़ेगा.’
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‘बीजेपी में मोदी का विरोध करने वाला कोई नहीं’

4 जुलाई 2018 को दैनिक जागरण में ही, भाजपा में मोदी का विरोध करने वाला कोई नहीं है, यही उनकी मजबूती है और यही कमजोरी भी’ शीर्षक से लेख प्रकाशित हुआ था. इस लेख में उन्होंने पीएम मोदी को उनकी हिंदूवादी छवि और बीजेपी-आरएसएस के एजेंडे पर निशाना साधा.

कुलदीप नैयर ने एक लेख में लिखा,

‘मोदी एक ऐसे घोड़े पर सवार हैं जिससे वह चुनाव के पहले उतर नहीं सकते। उनकी सफलता इसी पर निर्भर करेगी कि आरएसएस के कैडर कितना बेहतर कर पाते हैं। शायद मोदी चुनाव लड़ने के लिए कोई रणनीति बना रहे हैं और यह साफ है कि वही पार्टी होंगे। ऐसा लगता है कि बाकी पार्टियां इकट्ठा होने जा रही हैं और संघीय मोर्चा जैसा कुछ बनाएंगी। इसका प्रयास, जैसा कांग्रेस नेता सोनिया गांधी कह चुकी हैं, मोदी को सत्ता में वापस आने से रोकने का होगा। ऐसे मोड़ पर मोदी को पार्टी की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, लेकिन यह कैसे संभव हो पाएगा जब वह खुद ही भाजपा बन गए हैं?’

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