पत्रकार सिद्दीक कप्पन (Siddique Kappan) को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. केरल के रहने वाले पत्रकार सिद्दीक कप्पन को 700 से ज्यादा दिनों तक जेल में रहने के बाद आखिरकार चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने बेल दे दिया है.
बता दें कि सिद्दीक कप्पन को 5 अक्टूबर, 2020 को तीन लोगों के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था. तब कप्पन, मसूद अहमद, अतिकुर रहमान और मोहम्मद आलम के साथ उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे थे. हाथरस में एक दलित लड़की के साथ कथित रूप से गैंगरेप और हत्या का मामले सामने आया था और कप्पन रिपोर्टिंग के लिए पीड़िता के परिवार से मिलने जा रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए पूछा,
हर व्यक्ति को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार है. वह यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि (हाथरस) पीड़ित को न्याय की जरूरत है और एक आम आवाज उठाएं. क्या यह कानून की नजर में अपराध होगा."
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि हाथरस की घटना को लेकर एक दुष्प्रचार किया गया था और कप्पन दंगा भड़काने की पीएफआई की साजिश का हिस्सा थे. जेठमलानी ने कहा,
"कप्पन सितंबर 2020 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की बैठक में थे. बैठक में कहा गया कि फंडिंग बंद हो गई है. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वे संवेदनशील क्षेत्रों में जाएंगे और दंगे भड़काएंगे. यहां तक कि सह आरोपी ने भी बयान दिया था. सह आरोपी उच्च रैंकिंग पीएफआई के अधिकारियों में से एक और उसने साजिश का खुलासा किया."
वहीं इसपर चीफ जस्टिस ने ललित ने कहा, 'लेकिन सह-आरोपी का बयान उनके खिलाफ नहीं जा सकता.
जेठमलानी ने कहा कि हाथरस की घटना को अशांति फैलाने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने का प्रयास किया गया था.
हालांकि बेंच ने जेठमलानी के तर्क को ठुकरा दिया और जस्टिस भट ने टिप्पणी की,
"2011 में भी निर्भया के लिए इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. कभी-कभी बदलाव लाने के लिए विरोध की आवश्यकता होती है. आप जानते हैं कि उसके बाद कानूनों में बदलाव हुआ था. ये प्रोटेस्ट था जेठमलानी."
वहीं कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि कप्पन को अगले छह सप्ताह तक दिल्ली में ही रहना होगा, उसके बाद वह केरल जा सकते हैं. साथ ही उन्हें हर हफ्ते स्थानीय पुलिस स्टेशन में शर्तों के साथ उपस्थिति दर्ज करवानी होगी.
कप्पन पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े होने का आरोप है. कप्पन पर IPC की धारा 153ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 124ए (देशद्रोह), 120बी (साजिश), UAPA के तहत केस दर्ज है. हालांकि पिछले साल मथुरा की एक स्थानीय अदालत ने पत्रकार सिद्दीकी कप्पन सहित चार लोगों को शांति भंग करने के आरोपों से मुक्त कर दिया था.
29 अगस्त को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करके पांच सितंबर तक जवाब मांगा था.
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