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आजमगढ़ के छोटे से कस्बे से लेकर अबू सलेम की डॉन बनने की कहानी 

दुबई में एक प्रोग्राम के दौरान ही उसकी दोस्ती फिल्‍म एक्ट्रेस मोनिका बेदी से हुई, नजदीकियां बढ़ी. फिर प्यार हो गया.

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1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी अबू सलेम को टाडा कोर्ट ने गुरुवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है. और साथ ही 2 लाख का जुर्माना भी लगा है. भले ही 24 साल बाद अब जाकर अबू सलेम के गुनाहों की सजा का ऐलान हुआ हो. लेकिन सलेम की कहानी शुरू होती है साल 1985 से, जब वो रोजगार के लिए मुंबई आया था.

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आजमगढ़ का सलेम से डॉन सलेम

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से 35 किलोमीटर दूर एक छोटा सा कस्बा सरायमीर का रहने वाला अबू सलेम अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कभी डॉन तो कभी कैप्टन के नाम से जाना जाता था.

एस हुसैन जैदी अपनी किताब ‘माय नेम इज अबू सलेम’ में लिखते हैं कि

अबू सलेम सरायमीर के रहने वाले मशहूर वकील अब्दुल कय्यूम का दूसरा बेटा था. एक हादसे में पिता की मौत के बाद अबू सलेम को घर चलाने के लिए सरायमीर में ही एक साइकिल की दुकान पर काम करना पड़ा. लेकिन कुछ ही दिन बाद वो काम की तलाश में दिल्ली आ गया. जहां उसने कुछ दिन बाइक रिपेयरिंग का काम किया. साथ ही ड्राइवर की नौकरी भी की. लेकिन जब दिल्ली में भी सलेम का दिल नहीं लगा तो वो मुंबई पहुंच गया.

मुंबई ने सलेम को बनाया डॉन

1990 के दशक में मुंबई में दाऊद इब्राहिम का सितारा बुलंदियों पर था. 1000-2000 रुपये के लिए नौजवान तस्करी से लेकर मर्डर तक का काम करने को तैयार थे.

एस हुसैन जैदी अपनी किताब में लिखते हैं कि 1990 के दौर में सलेम मुंबई के जोगेश्वरी में अराशा शॉपिंग सेंटर जो एक छोटा सा मॉल था, वहां एक दुकान पर काम करता था.

इसी दौरान सलेम की मुलाकात दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम से हुई. अनीस से मुलाकात के बाद अबू सलेम की जिंदगी बदल गई और यहीं से शुरू हुई सलेम की डॉन अबू सलेम बनने की कहानी.

12 मार्च 1993 को हुआ था 13 बम धमाका

12 मार्च, 1993 को कभी ना रुकने वाली मुंबई को अचानक ब्रेक लग गया था, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की इमारत एकदम से हिल गई थी और लोगों ने एक कान फोड़ देने वाला पहला धमाका सुना. फिर यह सिलसिला रुका नहीं, एक के बाद एक 12 धमाके हुए और मुंबई ही नहीं पूरा देश दहल उठा था. इस सीरियल ब्लास्ट में 257 लोगों की जानें गई थी और करीब 27 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था.

इस बम ब्लास्ट में अबू सलेम का नाम आया, जिसके बाद अबू सलेम भारत छोड़ कर भाग गया.

संजय दत्त से भी रह चुका है कनेक्शन

हसन जैदी की किताब के मुताबिक,

90 के दशक में अंडरवर्ल्ड का डर फिल्म इंडस्ट्री पर भी दिखने लगा था. उसी वक्त बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त अपने करियर की ऊंचाई पर थे. 1993 में संजय दत्त ने अनीस इब्राहिम को फोन किया कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं और उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए कुछ हथियार चाहिए. अनीस ने अबू सलेम को बंदूक लेकर संजय दत्त के पास भेजा था. तब अबू सलेम पहली बार संजय दत्त से मिला था.

जिसके बाद संजय दत्त और अबू सलेम की दोस्ती हो गई थी. 1993 मुंबई ब्लास्ट वक्त अबू सलेम ने संजय दत्त को हथियार पहुंचाया था. जिसके लिए संजय दत्त को पांच साल की सजा भी हुई थी.

दुबई में मोनिका बेदी से हुआ प्यार

साल 1998 में अबु सलेम ने दुबई में अपना किंग्स ऑफ कार ट्रेडिंग का बिजनेस शुरू किया. इसी कंपनी के एक प्रोग्राम के दौरान ही उसकी दोस्ती फिल्‍म फिल्म एक्ट्रेस मोनिका बेदी से हुई. नजदीकियां बढ़ी. और फिर प्यार हो गया. दोनों की शादी की बात भी मीडिया में आती रही. लेकिन दोनों ने कभी शादी की बात कभी नहीं मानी.

पुर्तगाल से लाया गया भारत

ठीक 12 साल बाद अबू सलेम को साल 2005 में भारत सरकार ने पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया. जिसके बाद से लेकर सलेम भारत जेलों में कैद है. कोर्ट ने सलेम को आपराधिक साजिश में शामिल होने का दोषी पाया था.

अभी भी शादी की चाहत रखता है सलेम

कहते हैं कि सलेम ने मुंबई की समीरा नाम की लड़की से सबसे पहले शादी की थी. समीरा उस वक्त नाबालिग थी, लेकिन फिर भारत से दुबई भागने के बाद सलेम को मोनिका बेदी से प्यार हुआ.

इससे पहले साल 2014 में कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि सलेम ने सुनवाई के लिए ट्रेन से लखनऊ जाने के दौरान एक लड़की सैय्यद बहार कौसर से निकाह किया था. कौसर ने भी मुंबई की टाडा कोर्ट में एक अपील दायर करते हुए सलेम से निकाह के लिए अनुमति देने की मांग भी की थी.

वहीं हाल ही में अबू सलेम ने मुंबई के एक कोर्ट में याचिका दायर कर शादी के लिए पैरोल मांगी थी. सलेम ने दो हाईकोर्ट केस का हवाला देते हुए दावा किया था कि दोषियों को शादी करने के लिए इस तरह की राहत दी जा सकती है.

अदालत ने सुनाई सलेम को उम्रकैद की सजा

कोर्ट ने सलेम को 'आतंकवाद संबंधित गतिविधियों' का भी दोषी पाया था. जिसके बाद 24 साल बाद 7 सितंबर 2017 को कोर्ट ने सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

सलेम को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती थी. क्योंकि पुर्तगाल से प्रत्यर्पण संधि होने की वजह से कोर्ट सलेम को फांसी की सजा नहीं दे सकती है.

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