प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के उत्तराखंड में केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के मौके पर पहुंचने के साथ ही चार साल पहले भीषण प्राकृतिक आपदा के चलते पटरी से उतर गयी तीर्थयात्रा ने तेज रफ्तार पकड़ ली है. शुरुआती दिनों में ही यहां पहुंचने वाले श्रद्वालुओं की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है.
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी इलाके में दस हजार फुट से ज्यादा की उंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम के कल शनिवार को कपाट खुलने के पहले ही दिन 32,700 श्रद्वालुओं ने भगवान विष्णु के दर्शन किये, जो पिछले साल पहले दिन दर्ज की गयी 15000-16000 की तीर्थयात्रियों की संख्या से दोगुनी से भी ज्यादा है.
शनिवार को कपाट खुलने के पहले ही दिन देश-विदेश से आये करीब 32700 श्रद्वालुओं ने भगवान बदरीनाथ के दर्शन किये और यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है.विनोद कुमार सुमन, जिलाधिकारी, चमोली
कल शनिवार को सुबह बदरीनाथ के कपाट खुलने के बाद भगवान विष्णु के सबसे पहले दर्शन करने वाले श्रद्वालुओं में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शामिल थे. चमोली के जिलाधिकारी ने बताया कि आपदा के दो साल बाद साल 2015 में बदरीनाथ में पूरे यात्रा सत्र में कुल 3.65 लाख श्रद्वालु आये थे जबकि वर्ष 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 6.65 लाख हो गया था. हालांकि, जिलाधिकारी ने कहा कि इस साल तीर्थयात्रा पर आने वाले श्रद्वालुओं के उत्साह को देखते हुए इस संख्या के दस लाख से उपर जाने की उम्मीद है.
प्राकृतिक आपदा के बाद अब पटरी पर लौट रही तीर्थयात्रा की रफ्तार
बीती तीन मई को 11,000 फुट से ज्यादा उंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी भगवान शिव के दर्शन और रुद्राभिषेक के लिये उनके दर पर पहुंचे थे और तब से लेकर कल छह मई तक पहले चार दिनों में ही वहां 26,757 श्रद्धालु आ चुके हैं.
यह संख्या भी पिछले साल इसी अवधि के दौरान दर्ज की गयी श्रद्वालुओं की संख्या से दोगुनी से ज्यादा है. श्रद्वालुओं की संख्या का ब्यौरा रखने वाले रुद्रप्रयाग जिला आपदा नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के मुताबिक, तीन मई से छह मई तक 26,757 श्रद्वालु केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं जबकि पिछले साल पहले चार दिनों में केवल 13266 तीर्थयात्री भगवान शिव के धाम पहुंचे थे.
हिमालय की उंची पहाडियों पर स्थित बदरीनाथ और केदारनाथ धाम समेत सभी चारों धाम सर्दियों में भारी बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के चलते श्रद्वालुओं के लिये बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल गर्मियों में दोबारा खुलते हैं.
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