जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की बच्ची के गैंगरेप और हत्या मामले में पठानकोट कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया. इस फैसले की शुरुआत में जज तेजविंदर सिंह ने अपराध की जघन्यता बयां करने के लिए मिर्जा गालिब के एक शेर का जिक्र किया- ''पिन्हा था दाम-ए-सख्त करीब आशियां के, उड़ने न पाए थे कि गिरफ्तार हम हुए (शिकारियों ने इतना कड़ा जाल बिछा रखा था कि उड़ने से पहले ही पकड़ लिया गया)''
जज तेजविंदर सिंह ने कहा कि इस मामले से ऐसा लगता है कि समाज में ‘जंगल का कानून’ है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘’दुर्भाग्यपूर्ण अपहरण, नशीले पदार्थ देना, गलत तरीके से बंधक बनाना, 8 साल की एक बच्ची के रेप और उसकी हत्या ने आपराधिक कानून को गति में ला दिया.’’
इस मामले में सिंह ने 3 आरोपियों को आपराधिक साजिश और हत्या के अपराध में उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा उन्होंने सबूत मिटाने के जुर्म में 3 अन्य आरोपियों को 5-5 साल जेल की सजा सुनाई है, जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया है. देश को चौंका देने वाले इस मामले की बंद कमरे में हुई सुनवाई 3 जून को पूरी हो गई थी.
पंजाब के पठानकोट में हुई मामले की सुनवाई
मामले में रोज के आधार पर सुनवाई पंजाब के पठानकोट में जिला और सत्र अदालत में पिछले साल जून के पहले हफ्ते में शुरू हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जम्मू-कश्मीर से बाहर भेजने का आदेश दिया था, जिसके बाद जम्मू से करीब 100 किलोमीटर और कठुआ से 30 किलोमीटर दूर पठानकोट की अदालत में मामले को भेजा गया था.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश तब आया था, जब कठुआ में वकीलों ने क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को चार्जशीट दाखिल करने से रोका था.
चार्जशीट में क्या कहा गया था?
पंद्रह पन्नों की चार्जशीट में कहा गया था- ''पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गई 8 साल की बच्ची को कठुआ जिले के एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था. उसे चार दिन तक बेहोश रखा गया था और बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी.''
फैसले पर परिजनों ने क्या कहा
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