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राष्ट्रपति की चिंताः गरीब की पहुंच से बाहर हुई न्यायिक प्रक्रिया

राष्ट्रपति ने कहा- ऐसी स्थिति में हम सभी की जिम्मेदारी है कि देश के प्रत्येक नागरिक की सस्ते न्याय तक पहुंच हो 

Published
भारत
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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शनिवार को राजस्थान के जोधपुर में न्याय की पहुंच पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गई है.

राष्ट्रपति ने राजस्थान हाई कोर्ट की नई बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह के दौरान कहा, "न्यायिक प्रक्रिया महंगी हो गई है, यहां तक कि कई कारणों से आम आदमी की पहुंच से दूर हो गई है. विशेष रूप से हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्याय के लिए आम वादियों का पहुंचना असंभव हो गया है"

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न्यायिक प्रणाली बहुत महंगी हो गई है. देश के किसी भी गरीब व्यक्ति के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच स्थापित करना मुश्किल हो गया है. ऐसी स्थिति में हम सभी की जिम्मेदारी है कि देश के प्रत्येक नागरिक की सस्ते न्याय तक पहुंच हो. सभी को इस दिशा में प्रयास करने होंगे.”
रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति

गरीबों को मिलनी चाहिए मुफ्त कानूनी सहायता

उन्होंने कहा, "इसके अलावा गरीबों और वंचितों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का दायरा भी व्यापक करना होगा."

“आज, क्या कोई गरीब या वंचित व्यक्ति अपनी शिकायत के साथ यहां आ सकता है? यह सवाल सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि संविधान की प्रस्तावना में, हम सभी ने सभी को न्याय प्रदान करने की जिम्मेदारी स्वीकार की है.”   
रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने किया महात्मा गांधी का जिक्र

राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने भी न्याय प्रक्रिया में होने वाले खर्च को लेकर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा कि उनके लिए सबसे गरीब (दरिद्र नारायण) का कल्याण हमेशा सर्वोपरि था.

कोविंद ने गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराए जाने का सुझाव देते हुए कहा-

“अगर हम गांधीजी की प्रसिद्ध मानदंड को ध्यान में रखते हैं, अगर हम सबसे गरीब और कमजोर लोगों के चेहरे को याद करते हैं, तो हमें सही रास्ता दिखाई देगा.”

राष्ट्रपति ने कहा कि सत्य हमारे गणतंत्र की नींव बनाता है और संविधान ने न्यायपालिका को सत्य की रक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है.

उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में न्यायपालिका की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. हमारे देश में अतीत में राजाओं और बादशाहों से न्याय पाने के लिए कोई भी व्यक्ति उनके निवास के बाहर घंटी बजा सकता था और न्याय पा सकता था. लेकिन अब स्थिति बदल गई है."

उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीशों से आग्रह किया कि दिए गए निर्णयों की जानकारी हिंदी में उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने कहा कि उच्चतम तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट नौ भाषाओं में अपने निर्णयों के बारे में जानकारी दे रहा है.

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