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बंगाल: जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय BJP में शामिल, लोकसभा चुनाव लड़ने के दिए संकेत

Justice Abhijit Gangopadhyay: TV इंटरव्यू विवाद- साथी जज पर आरोप, कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जज कौन हैं?

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भारत
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कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय (Justice Abhijit Gangopadhyay) गुरुवार (7 मार्च) को आधिकारिक तौर पर बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने न्यायामूर्ति पद से इस्तीफा देने के बाद इस बात के संकेत दिए थे कि वो जल्द ही बीजेपी की सदस्यता हासिल करेंगे.

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जानकारी के अनुसार, जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय इसी साल रिटायर होने वाले थे. उन्होंने ऐलान किया है कि वह लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.

जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी और अन्य की उपस्थिति में बीजेपी में शामिल हुए.

इससे पहले मंगलवार (5 मार्च) को उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा, जिसकी प्रतियां CJI डीवाई चंद्रचूड़ और कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम को भेज दी गई थी.

मई 2018 से हाई कोर्ट के जज बने जस्टिस गंगोपाध्याय कभी बड़ी बेंचों के आदेशों की अनदेखी करके तो कभी न्यूज चैनलों को इंटरव्यू देकर विवादों में रहे हैं. बंगाल के कथित शिक्षा घोटाले को लेकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC सरकार के साथ उनका टकराव लगभग पिछले 2 सालों से होता आ रहा है. यहां तक कि उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के अपने साथी जज पर "राज्य की एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम करने" का आरोप तक लगा दिया था.

चलिए आपको बताते हैं कि हाल में कैसे जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय कई मौकों पर सुर्खियों में रहे हैं:

सुनवाई के बीच टीवी इंटरव्यू दिया तो SC ने बेंच से हटाया 

अभिजीत गंगोपाध्याय 2 मई 2018 को कोलकाता हाई कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त हुए. 2022 से, उन्होंने CBI और ED को पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल नौकरियों घोटाले की जांच करने का निर्देश देने वाले कई आदेश पारित किए हैं. हालांकि बाद में एक खंडपीठ ने इन आदेश पर रोक लगा दी.

जस्टिस गंगोपाध्याय विवादों में उस अप्रैल 2023 में आए जब वो 'पैसे के बदले स्कूलों में नौकरी देने वाले घोटाले' के संबंध में याचिकाओं की सुनवाई कर ही रहे थे और उन्होंने इस घोटाले को लेकर एक स्थानीय बंगाली समाचार चैनल को इंटरव्यू दे दिया.

उन्होंने इंटरव्यू में TMC के दूसरे नंबर के नेता और सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की संपत्ति पर खुलेआम सवाल उठाया. इस इंटरव्यू पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा जजों को टीवी चैनलों को इंटरव्यू नहीं देना चाहिए.

भारत के CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से एक रिपोर्ट मांगी थी कि क्या जस्टिस गंगोपाध्याय ने इंटरव्यू दिया था. जवाब हां में मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को आदेश दिया कि इस मामले को जस्टिस गंगोपाध्याय से लेकर किसी दूसरे बेंच को सौंप दिया जाए.

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बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के कुछ घंटों के अंदर ही, जस्टिस गंगोपाध्याय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक आदेश पारित किया जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को यह निर्देश दिया कि वह बंगाली मीडिया को दिए गए उनके इंटरव्यू पर SC में जमा की गयी रिपोर्ट और आधिकारिक ट्रांसलेशन उनके सामने पेश करें.

इस स्वत: संज्ञान आदेश के बाद मजबूरन, सुप्रीम कोर्ट को इस पर रोक लगाने के लिए देर शाम एक विशेष सुनवाई करनी पड़ी. जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने यह भी कहा कि जस्टिस गंगोपाध्याय द्वारा ऐसा आदेश देना 'न्यायिक अनुशासन के खिलाफ' था.

जब साथी जज पर लगाया खास पार्टी के लिए काम करने का आरोप

शुरू में, जस्टिस गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच ने एक MBBS कैंडिडेट द्वारा दायर याचिका पर पश्चिम बंगाल के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में MBBS कैंडिडेट्स के एडमिशन में कथित घोटाले की CBI जांच का निर्देश दिया था. इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ (2 जजों की बेंच) का रुख किया. इसके बाद जस्टिस सौमेन सेन और उदय कुमार की खंडपीठ ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगा दी.

इसके बाद जस्टिस गंगोपाध्याय की सिंगल जज बेंच ने कहा कि खंडपीठ द्वारा पारित आदेश पूरी तरह से अवैध है और इसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए. जस्टिस गंगोपाध्याय ने अपने आदेश में जस्टिस सेन पर राज्य की एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम करने का भी आरोप लगाया है.
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बंगाली थिएटर भी कर चुके हैं जस्टिस गंगोपाध्याय

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 1962 में कोलकाता में जन्मे जस्टिस गंगोपाध्याय ने दक्षिण कोलकाता के एक बंगाली-माध्यम स्कूल, मित्रा इंस्टीट्यूशन (मेन) में पढ़ाई की. उन्होंने कोलकाता के हाजरा लॉ कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. इस दौरान उन्होंने बंगाली थिएटर भी किया.

ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने उत्तर दिनाजपुर जिले में पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (WBCS) ग्रेड-ए अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया. बाद में उन्होंने सिविल सेवा छोड़ दी और कलकत्ता हाई कोर्ट में राज्य वकील के रूप में प्रैक्टिस शुरू की. उन्हें 2018 में एडिशनल जज के पद पर प्रमोट किया गया. दो साल बाद उन्हें परमानेंट जज बना दिया गया.

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