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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन बन सकते हैं जस्टिस मिश्रा

एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाई-पावर रिकमंडेशन कमेटी ने जस्टिस मिश्रा के नाम की सिफारिश की 

Published
भारत
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अरुण मिश्रा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के नए चेयरपर्सन बन सकते हैं. अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से यह जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि सोमवार को एक हाई-पावर रिकमंडेशन कमेटी ने जस्टिस मिश्रा के नाम की सिफारिश की.

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कमेटी ने NHRC के सदस्यों के तौर पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश महेश मित्तल और इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व निदेशक राजीव जैन के नाम की भी सिफारिश की है.

सेलेक्शन पैनल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं.

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जस्टिस मिश्रा के कई फैसले रहे थे विवादित

जून 2014 में जस्टिस मिश्रा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. उनके कार्यकाल में कई बड़ी घटनाएं हुई थीं और सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में वह सबसे विवादास्पद जजों में से एक रहे. रिटायरमेंट से चंद दिन पहले भी वह प्रशांत भूषण अवमानना मामले और एजीआर विवाद के चलते सुर्खियों में बने रहे.

जस्टिस मिश्रा उस वक्त पहली बार बड़े विवाद के घेरे में आए थे, जब अदालत में ‘सहारा बिड़ला डायरी’ की जांच की मांग करने वाली एक याचिका दायर की गई थी, लेकिन जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया था.

2013 में आदित्य बिड़ला ग्रुप के दफ्तरों में छापे के दौरान कुछ डॉक्युमेंट्स इनकम टैक्स विभाग और सीबीआई के हाथ लगे थे. इनसे संकेत मिलता था कि कई नेताओं को करोड़ों रुपये दिए गए हैं.

जस्टिस मिश्रा उन बेंचों का हिस्सा रहे, जिन्होंने एक नहीं, दो पूर्व सीजेआई की मान-मर्यादा की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाई.

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