सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने गुजरात में एक विधि विश्वविद्यालय के छात्रों से कहा कि “असहमति का साहस” विकसित करें और आशावादी रहें साथ ही अपने जमीर के प्रति सच्चा रहें. गुजरात में ही एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व होता है.
सवाल करना याद रखिए: चंद्रचूड़
उन्होंने कहा, “सवाल करना याद रखिए. अक्सर जब हम अच्छे परिवारों में बड़े होते हैं तो हमें बताया जाता है कि आदेशों का पालन करें. लेकिन जैसे-जैसे आप जीवन में बड़े होते हैं, तो अपना रुख अख्तियार करना भी महत्वपूर्ण होता है. असहमत होइए. क्योंकि अपने विचारों को व्यक्त करने, असहमत होने, अलग मत रखने की शक्ति के जरिये ही आप दूसरों को रोक कर विचार करवा सकते हैं.”
गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (जीएनएलयू) के दीक्षांत समारोह में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विधि छात्रों से कहा कि वे अपनी असफलताओं को संभालना सीखें और जीवन में रोज कुछ अच्छा करें.
न्यायमूर्ति ने कहा, “साहस एक वकील की पहचान है. और साहस से मेरा आशय सिर्फ सरकार के खिलाफ खड़े होने से नहीं है. मैं सिर्फ इस साहस की बात नहीं कर रहा हूं. जो लोग सरकार के खिलाफ खड़े होते हैं वह अखबार की सुर्खियां बना सकते हैं. लेकिन हम ऐसे नागरिक चाहते हैं जिनमें उन लोगों के लिये खड़े होने का साहस हो जो अपनी बात खुद नहीं रख सकते.”
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात हाई कोर्ट के ऑडिटोरियम में 15वें पी. डी. मेमोरियल लेक्चर में चंद्रचूड़ ने कहा कि असहमति पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकारी सिस्टम का इस्तेमाल डर पैदा करता है. उन्होंने कहा कि असहमति को लोकतंत्र विरोधी करार देना संवैधानिक मूल्यों को बचाए रखने वाले और लोकतंत्र को बढ़ावा देने वाली मूल भावना पर चोट करती है.
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