सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस चेलमेश्वर के मुताबिक, कोर्ट में मामला होने के बावजूद, राम मंदिर बनाने के लिए सरकार कानून ला सकती है. चेलमेश्वर का कहना है कि पहले भी सरकारों ने कोर्ट के फैसलों में संसदीय तरीकों से छेड़खानी की है. राम मंंदिर से जुड़े एक सवाल पर चेलमेश्वर ने जवाब में ये बात कही है.
पिछले कुछ दिनों से देश में राम मंदिर पर चर्चा तेज हो गई है. संघ से जुड़े संगठनों ने चुनाव के नजदीक आते ही राम मंदिर की बात फिर शुरू कर दी है.
शुक्रवार को ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस के एक कार्यक्रम में जस्टिस चेलमेश्वर मौजूद थे. कार्यक्रम में चेलमेश्वर से पूछा गया कि 'राम मंदिर मुद्दे के कोर्ट में होने के बावजूद क्या सरकार मंदिर बनाने के लिए कानून बना सकती है?' सवाल का जवाब देते हुए चेलमेश्वर ने कहा,
इस सवाल का पहला पहलू है कि क्या कानूनी तौर पर सरकार राम मंदिर के लिए एक्ट बना सकती है या नहीं बना सकती. दूसरा पहलू है कि क्या सरकार ऐसा करेगी या नहीं. पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं जब सुप्रीम कोर्ट के कामकाज में कानून बनाकर दखलंदाजी की गई है.जस्टिस चेलमेश्वर
पुरानी घटनाओं का जिक्र करते हुए चेलमेश्वर ने कावेरी विवाद पर कर्नाटक विधानसभा के कानून बनाने और इसी तरह के जल विवाद पर राजस्थान, पंजाब और हरियाणा सरकार द्वारा कानून बनाने का उदाहरण पेश किया. चेलमेश्वर ने आगे कहा,’देश को इन सब चीजों पर पहले ही खुल जाना चाहिए था.’
राम मंदिर मामले में पिछले दिनों आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आरएसएस ने निराशा जताई थी. संघ ने कहा था कि कोर्ट के फैसले से हिंदुओं को अपमान सहना पड़ रहा है. संघ ने अयोध्या विवाद के लिए अध्यादेश लाने की भी मांग की है. संघ नेता भैय्याजी जोशी ने मंदिर के लिए आंदोलन की भी बात कही थी.
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