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सिंधिया को HC ने दिया 'पहला काम',एयरपोर्ट के नामकरण पर नीति बनाएं

Jyotiraditya Scindia को 7 जुलाई को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया.

Published
भारत
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भारत को ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के रूप में नया नागरिक उड्डयन मंत्री मिला है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को अपना कार्यभार संभाल लिया है. काम संभालते ही सिंधिया को बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहला काम सौंपा दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि एयरपोर्ट के नामकरण और नाम बदलने के लिए एक नई राष्ट्रव्यापी नीति तैयार की जाए.

अदालत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह से कहा कि वह नए विमानन मंत्री से हवाई अड्डों के नामकरण और नाम बदलने के लिए एक राष्ट्रव्यापी नीति तैयार करने के लिए कहें.

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न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जीएस कुलकर्णी की बेंच ने कहा,

"अगर कोई नई नीति अभी भी मसौदा चरण में है, तो इसे अभी करें. अभी आपके पास मंत्रियों का एक नया समूह है. नए विमानन मंत्रालय का काम होने दें. यह नए विमानन मंत्री का पहला कार्य होना चाहिए."

हाई कोर्ट ने और क्या कहा?

बेंच ने आगे कहा कि वह ऐसी चीजों की अनुमति नहीं देंगे जो जून में हुआ जब 25,000 लोगों ने COVID प्रोटोकॉल की अवहेलना कर नवी मुंबई में एक रैली का आयोजन किया था, जिसमें मांग की गई थी कि एक आगामी हवाई अड्डे का नाम एक स्थानीय नेता के नाम पर रखा जाए.

बता दें कि जून के महीने में एयरपोर्ट के नाम को लेकर एक रैली हुई थी, जिसमें मांग की गई थी कि नवी मुंबई में बनने वाले हवाई अड्डे का नाम दिवंगत सांसद डीबी पाटिल के नाम पर रखा जाए, जिन्होंने परियोजना प्रभावित लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी.

साल 2016 में एक मसौदा नीति तैयार की गई थी, जिसमें हवाई अड्डों का नाम शहरों के नाम पर रखा गया था न कि व्यक्तियों के नाम पर. हाई कोर्ट ने इस मामले पर पूछा, "हम मसौदा नीति की वर्तमान स्थिति जानना चाहेंगे?" अब इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 16 जुलाई तय की है.

PIL के जरिए क्या मांग की गई है?

बता दें कि इस मामले पर एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई थी. जनहित याचिका के जरिए कहा गया है कि:

  • हवाई अड्डों के नामकरण और नामकरण के लिए एक समान नीति बनाने के लिए केंद्र को निर्देश दिया जाए

  • नवी मुंबई में बनने वाले हवाई अड्डे के नामकरण के लिए राज्य सरकारों द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर तब तक कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र को निर्देश दिया जाए, जब तक कि कोई नीति नहीं बनाई जाती.

पीटीआई के अनुसार, वकील फिल्जी फ्रेडरिक ने जनहित याचिका दायर की है.

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