नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने चाइल्ड पॉर्नोग्राफी को लेकर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि चाइल्ड पॉर्नोग्राफी को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को कदम उठाने की जरूरत है. चाइल्ड पॉर्नोग्राफी और तस्करी के लिए इंटरनेट का तेजी से इस्तेमाल होने के चलते सत्यार्थी चाहते हैं कि यूएनएससी के नेतृत्व में इस पर कार्रवाई हो और खतरे की जांच करने के लिए इंटरपोल को शामिल किया जाए.
भारत में बाल अधिकारों की सुरक्षा को लेकर पिछले 40 सालों से एक एनजीओ चला रहे सत्यार्थी ने कहा कि वो दो दर्जन से अधिक अन्य नोबेल पुरस्कार विजेताओं के माध्यम से इस बारे में दबाव बनाने का काम कर रहे हैं.
गूगल पर चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से चिंता
“पिछले दो सालों से दो दर्जन से अधिक नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साथ सहयोग लेकर मैं एक नए बाध्यकारी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन पर काम कर रहा हूं. यह सम्मेलन बच्चों के साथ किसी भी रूप से होने वाले डिजिटल दुरुपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए है.”कैलाश सत्यार्थी
सत्यार्थी ने पॉर्नोग्राफी पर इसलिए बयान दिया क्योंकि पिछले दिनों मीडिया में कुछ खबरें सामने आईं थी, जिनमें दावा किया गया था कि फेसबुक और गूगल जैसे प्लेटफार्मों पर पिछले साल बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के लाखों वीडियो और तस्वीरें देखीं गईं. सत्यार्थी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस के साथ इंटरव्यू में कहा,
‘UNSC के पास हैं शक्तियां’
सत्यार्थी ने उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करने के पांच साल पूरे होने पर कहा, चाइल्ड पॉर्नोग्राफी पर यदि कोई एजेंसी जांच कर सकती है, तो वह सिर्फ सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) है क्योंकि सिर्फ इसके पास ही प्रयाप्त शक्तियां हैं. सत्यार्थी ने दुनिया भर में चाइल्ड पॉर्नोग्राफी पर लगाम लगाने के लिए मजबूत कदम उठाने की वकालत की.
उन्होंने दावा किया, "इस बाबत एक समर्पित एजेंसी होनी चाहिए और मेरी मांग है कि वह एजेंसी सुरक्षा परिषद होनी चाहिए क्योंकि इसके पास शक्ति है और दूसरी एजेंसियां सरकार और अन्य कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती है." उन्होंने आगे कहा, "सुरक्षा परिषद में एक छोटी इकाई होनी चाहिए और इसका नेतृत्व इंटरपोल के पास होना चाहिए ताकि यह इस अवैध उद्योग पर नजर रख सके."
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