कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने इसके रूट पर आने वाले ढाबों और दुकानों पर उसे चलाने वालों का नाम दिखाने का आदेश दिया था. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो पहली सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकारों को नोटिस भेजते हुए आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. राज्य सरकारों के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले एक्टिविस्ट और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने क्विन्ट हिन्दी ने बातचीत की है.
सुप्रीम कोर्ट के स्टे ऑर्डर पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है?
प्रोफेसर अपूर्वानंद: पहली प्रतिक्रिया तो अदालत का शुक्रिया अदा करने की है. अदालत पर विश्वास है कि वो भारत के संवैधानिक ढांचे की रक्षा करेगी, उसने वो विश्वास वापिस लौटाया है. इस तरह के फैसलों से वो विश्वास लौटेगा जो पिछले कुछ सालों में थोड़ा हिल गया है. वजह है कि हम सुप्रीम कोर्ट की तरफ इस उम्मीद के साथ देखते हैं कि वह संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने का आखिरी पड़ाव है. अगर वहां इस बात को नहीं सुना जाता है तो निराशा होती है. लेकिन आज जिस तरह से सुना गया है उससे काफी आश्वासन मिलता है.
क्या BJP एक ऐसा हिंदू तैयार करने की कोशिश कर रही है जो मुसलमानों को डर की नजर से देखे?
प्रोफेसर अपूर्वानंद: उसके (बीजेपी) लिए यह बहुत ही आवश्यक है कि वह हिंदूओं के दिमाग को इस तरह से तैयार करे जिससे वह हमेशा मुसलमानों और ईसाइयों को शक की निगाह से देखे. उसे ऐसा लगता रहे कि मुसलमान और ईसाई उसके हर अधिकार को हड़पना चाहते हैं, औरतों को भी हड़पना चाह रहे हैं, उसकी संपत्ति को भी हड़पना चाह रहे हैं, उसकी नौकरी को भी हड़पना चाह रहे हैं. उसके खाने पीने को भी वो सुरक्षित नहीं रहने देना चाहते... अगर आपको पीएम मोदी के भाषण याद हो तो उन्होंने खुद लव जिहाद, लैंड जिहाद आदि की बात की है. यह कोशिश की जा रही है एक ऐसा हिंदू बनाया जाए जो मुसलमान और ईसाई विरोधी हो.
पूरे इंटरव्यू के लिए क्विंट हिंदी के यूट्यूब चैनल पर जाएं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)