असम से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां बोको फॉरनर्स ट्राइब्यूनल ने कारगिल युद्ध लड़ने वाले मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित कर दिया है. इतना ही नहीं 52 साल के सनाउल्लाह को अवैध प्रवासियों के हिरासत केंद्र में भी भेज दिया गया है. बुधवार को इस मामले पर सनाउल्लाह के परिवार ने गुवाहाटी हाई कोर्ट का रुख किया. सनाउल्लाह के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है.
सनाउल्लाह को बॉर्डर पुलिस ने समन जारी करने के बाद मंगलवार को हिरासत में लिया था. यह विडंबना ही है कि सनाउल्लाह उसी बॉर्डर पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्ट के तौर पर काम कर रहे थे, जिस पर संदिग्धों और अवैध प्रवासियों की पहचान करने की जिम्मेदारी होती है. इस तरह के लोगों के केस का निपटारा फॉरनर्स ट्राइब्यूनल में होता है.
सनाउल्लाह को पिछले साल बोको के फॉरनर्स ट्राइब्यूनल ने नोटिस दिया था. इसके बाद वह 4-5 बार सुनवाई के लिए इस ट्राइब्यूनल के सामने पेश हुए थे. बता दें कि जिन लोगों को ऐसे नोटिस मिलते हैं, उन्हें दस्तावेजों के साथ अपनी भारतीय नागरिकता साबित करनी होती है.
रिटायर्ड जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर (JCO) मोहम्मद अजमल हक ने अंग्रेजी अखबार द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ''उनका (सनाउल्लाह का) जन्म साल 1967 में असम में हुआ था. वह 1987 में सेना में शामिल हुए थे. 2017 में रिटायर होने के बाद वह बॉर्डर पुलिस में शामिल हो गए.''
अजमल ने बताया, ''एक सुनवाई के दौरान, उन्होंने गलती से सेना में शामिल होने का साल 1978 बता दिया था. इस गलती के आधार पर फॉरनर्स ट्राइब्यूनल ने उन्हें विदेशी घोषित कर दिया. उसकी दलील थी कि कोई भी 11 साल की उम्र में सेना में शामिल नहीं हो सकता.'' सनाउल्लाह को हिरासत केंद्र में भेजे जाने पर अजमल ने कहा, ''यह हम जैसे पूर्व सैनिकों के लिए एक उदासी भरा दिन है.''
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