कर्नाटक के तुमकुर जिले में 9 अक्टूबर को एक ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास ने पुलिस को एक्टर कंगना रनौत के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए. ऐसा कोर्ट ने तब किया, जब उसके पास रमेश नाइक एल नाम का एक वकील पहुंचा और उसने आरोप लगाया कि अथॉरिटीज ने एक्टर पर उनके किसानों के खिलाफ ट्वीट्स को लेकर कार्रवाई नहीं की है.
रमेश ने कंगना के 21 सितंबर के उस ट्वीट पर आपत्ति जताई है, जिसमें @KanganaTeam ने कृषि संबंधित विधेयकों (अब कानूनों) का विरोध कर रहे किसानों पर लिखा था.
"जिन लोगों ने CAA पर गलत जानकारी और अफवाहें फैलाई और जिनसे दंगे हुए, ये वही लोग हैं जो अब किसान बिल पर गलत जानकारी फैला रहे हैं और देश में आतंक फैला रहे, ये आतंकवादी हैं. आप अच्छी तरह जानते हैं कि मैंने क्या कहा लेकिन सिर्फ गलत जानकारी फैलाना चाहते हैं."
रमेश का तर्क है कि ट्वीट में दंगे फैलाने के इरादे से उकसाया गया है और उन्होंने CrPC के सेक्शन 156(3) के तहत याचिका दायर की है. ये सेक्शन कहता है कि सेक्शन 190 के तहत सशक्त कोई भी मजिस्ट्रेट एक पुलिस अफसर द्वारा एक जांच का आदेश दे सकता है.
रमेश ने मांग की थी कि मजिस्ट्रेट कंगना रनौत के खिलाफ IPC के सेक्शन 153A (शब्दों के जरिए अलग-अलग समुदायों में दुश्मनी, नफरत पैदा करना), सेक्शन 504 (शांति का उल्लंघन करने के इरादे से जानबूझकर बेइज्जती करना) और सेक्शन 108 (एक शख्स का एक अपराध के लिए उकसाना) के तहत एक FIR दर्ज करने का आदेश दें.
संसद से 'विवादस्पद' ढंग से पास हुए तीन कृषि बिलों के खिलाफ पूरे देश में किसान इनका विरोध कर रहे हैं. कर्नाटक में भी किसान और उनके समूह इन कानूनों के खिलाफ हैं.
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