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हिजाब विवाद: फैसला सुनाने वाले तीनों जजों को मिलेगी Y-कैटेगरी की सुरक्षा

Hijab row: मुख्य न्यायाधीश अवस्थी, जस्टिस कृष्णा दीक्षित और जस्टिस एम जयबुन्निसा को जान से मारने की घमकी मिली थी

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कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने रविवार, 20 मार्च को कहा कि क्लासरूम में हिजाब (Hijab) पहनने से जुड़े मामले में फैसला सुनाने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के तीनों जजों को वाई कैटेगरी की सुरक्षा मिलेगी. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि "हमने हिजाब पर फैसला देने वाले तीनों जजों को 'वाई' कैटेगरी की सुरक्षा देने का फैसला किया है. मैंने डीजी और आईजी को निर्देश दिया है कि विधानसौधा थाने में दर्ज शिकायत की गहनता से जांच करें जिसमें कुछ लोगों ने जजों को जान से मारने की धमकी दी थी"

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15 मार्च को सुनाया गया था फैसला

हिजाब विवाद पर मंगलवार, 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब बैन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.

छात्राओं ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर बैन लगाने के सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद 9 फरवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच का गठन किया गया था. अपनी याचिका में छात्राओं ने कहा था कि उन्हें क्लास के अंदर भी हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि यह इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा है.

कहां से शुरू हुआ हिजाब विवाद?

कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद की शुरुआत जनवरी 2022 में हुई थी. उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की 6 मुस्लिम स्टूडेंट्स को हिजाब पहनकर क्लास में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. स्टूडेंट्स ने इसका विरोध किया और विरोध अन्य जिलों में भी फैल गया. ये एक बड़ा विवाद बन गया. कुछ हिंदू स्टूडेंट्स के भगवा गमछा ओढ़कर कॉलेज आने के बाद कई शहरों में तनाव फैल गया था.

मुस्लिम स्टूडेंट्स ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि उन्हें हिजाब पहनकर क्लास में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए. कर्नाटक हाईकोर्ट ने अंतरिम में स्कूलों और कॉलेजों में किसी भी तरह के धार्मिक पहनावे पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं से हाईकोर्ट से ही राहत मांगने को कहा.

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