बेंगलुरु के सेफ सिटी प्रोजेक्ट पर चल रहे विवाद और कर्नाटक के दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की खुली लड़ाई के बीच राज्य सरकार ने अधिकारी डी रूपा और हेमंत निंबलकर को नई पोस्टिंग दे दी हैं.
बेंगलुरु के एडिशनल कमिश्नर (एडमिनिस्ट्रेशन) का पद संभाल रहे निंबलकर को इंटरनल सिक्योरिटी डिपार्टमेंट में शिफ्ट किया गया है. राज्य की पहली महिला गृह सचिव डी रूपा को बेंगलुरु में कर्नाटक स्टेट हैंडीक्राफ्ट्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया है.
ये ट्रांसफर राज्य में और कई आईपीएस और आईएएस अफसरों के तबादलों के साथ किए गए हैं.
आईपीएस मालिनी कृष्णमूर्ति को एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस और गृह विभाग में सरकार का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है. इसके अलावा आईपीएस डॉ के रामचंद्र राव का तबादला बेंगलुरु में शिकायत और मानवाधिकार विभाग में किया गया है.
प्रोजेक्ट को लेकर क्या विवाद है?
कई करोड़ के बेंगलुरु सेफ सिटी प्रोजेक्ट की टेंडर प्रक्रिया को लेकर कर्नाटक सरकार में टॉप आईपीएस/आईएएस अफसरों में विवाद चल रहा है. भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई के मामले में कथित डबल स्टैंडर्ड्स की बात कही जा रही है.
डी रूपा और टेंडरिंग कमेटी के चीफ हेमंत निंबलकर ने प्रोजेक्ट को लेकर एक-दूसरे पर गलत कामों के आरोप लगाए हैं.
रूपा ने आरोप लगाया कि कमेटी के चीफ होते हुए निंबलकर नियमों का उल्लंघन कर एक खास कमेटी को तरजीह दे रहे थे. वहीं, निंबलकर का आरोप है कि बिना किसी अथॉरिटी के डी रूपा प्रक्रिया में दखलंदाजी कर रही हैं. हालांकि, रूपा का कहना है कि उन्हें फैसला लेने की प्रक्रिया का हिस्सा खुद मुख्य सचिव ने बनाया था.
डी रूपा ने मुख्य सचिव विजय भास्कर को लिखे एक खत में आरोप लगाया है कि गृह विभाग ने उनके खिलाफ एक 'झूठी और प्रेरित' शिकायत में तुरंत जांच शुरू कर दी, जबकि विभाग ने निंबलकर के मामले में ऐसा नहीं किया, जबकि महीनों पहले सीबीआई ने प्रॉसिक्यूशन की इजाजत मांगी थी. खत में लिखा है कि सीबीआई ने ये इजाजत सितंबर 2020 में मांगी थी.
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