कर्नाटक (Karnataka) की सिद्धारमैया कैबिनेट ने गुरुवार, 15 जून को पिछली बीजेपी सरकार द्वारा पेश किए गए धर्मांतरण विरोधी कानून (Anti-Conversion Law) को रद्द करने का फैसला किया है.
कैबिनेट के कुछ महत्वपूर्ण निर्णय
कृषि उपज बाजार समिति (APMC) अधिनियम में किए गए परिवर्तनों को रद्द करने का निर्णय लिया गया.
कन्नड़ और सामाजिक विज्ञान विषयों के लिए पूरक पाठ्यपुस्तकें प्रदान करने का निर्णय लिया है.
RSS के नेताओं, माधव सदाशिव गोलवलकर हेगड़ेवार और विनायक दामोदर सावरकर पर स्कूली पाठ्य पुस्तकों को हटाने का फैसला किया.
दक्षिणपंथी वक्ता चक्रवर्ती सूलीबेले द्वारा लिखित पाठ को हटाने का निर्णय लिया है.
सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी सभी स्कूलों और कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य करने का भी निर्णय लिया है.
धर्मांतरण विरोधी कानून में क्या प्रावधान थे?
कानून में 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से पांच साल की कैद का प्रावधान था.
नाबालिगों, महिलाओं, SC / ST के संबंध में प्रावधानों के उल्लंघन के लिए अपराधियों को तीन से दस साल की कैद और कम से कम 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान था.
बिल में अभियुक्तों को धर्म परिवर्तन करने वालों को मुआवजे के रूप में पांच लाख रुपये तक का भुगतान करने का प्रावधान था और सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में 3 से 10 साल की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना था.
कोई भी विवाह जो एक धर्म के पुरुष द्वारा दूसरे धर्म की महिला के साथ अवैध रूप से धर्मांतरण या इसके विपरीत या तो शादी से पहले या बाद में खुद को परिवर्तित करके या शादी से पहले या बाद में महिला को परिवर्तित करके हुआ हो, परिवार न्यायालय द्वारा शून्य घोषित किया जाएगा.
जहां पारिवारिक न्यायालय नहीं है, वहां क्षेत्राधिकार रखने वाला न्यायालय विवाह के दूसरे पक्ष के खिलाफ किसी भी पक्ष द्वारा पेश याचिका पर इस तरह के मामले की सुनवाई कर सकता है.
विधेयक में कहा गया है कि जो व्यक्ति किसी अन्य धर्म को अपनाना चाहते हैं, वे अपने निवास जिले या स्थान के संबंध में जिला मजिस्ट्रेट या विशेष रूप से जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अधिकृत अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को कम से कम एक महीने पहले राज्य के भीतर जन्म का एक निर्धारित प्रारूप में एक घोषणा देंगे.
कांग्रेस ने पूरा किया चुनावी वादा
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने वादा किया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वो, गोहत्या और धर्मांतरण विरोधी कानूनों को रद्द कर देगी. उन्होंने कहा कि ऐसे कानूनों के कारण किसान, अल्पसंख्यक समुदाय और पिछड़ा वर्ग निराश है.
सिद्धारमैया ने गोहत्या और धर्मांतरण विरोधी कानूनों के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा था, "संविधान का अनुच्छेद 21 पहले से ही सभी को अपना धर्म चुनने और किसी भी धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है. यह (बीजेपी द्वारा लाया गया कानून) अल्पसंख्यकों को मिटाने के लिए किया गया है. अगर हम सत्ता में आते हैं, तो कानून ने रद्द कर देंगे."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)