Karpoori Thakur to get Bharat Ratna: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जाएगा. उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती से एक दिन पहले राष्ट्रपति भवन की ओर से यह ऐलान किया गया है.
दो बार सीएम, एक बार डिप्टी सीएम- कुछ ऐसी रही उनकी जीवन यात्रा
कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार उप-मुख्यमंत्री रहे. कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे. कर्पूरी ठाकुर ने विधायक के रूप में अपनी शुरुआत तब की थी जब उन्होंने 1952 का चुनाव जीता और 1985 में अपने आखिरी विधानसभा चुनाव तक विधायक बने रहे.
बिहार के समस्तीपुर में जन्मे कर्पूरी ठाकुर को 'जननायक' के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने पिछड़ी जातियों के हितों की वकालत की. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें जेल में डाल दिया गया था.
कर्पूरी ठाकुर ने नवंबर 1978 में बिहार में सरकारी सेवाओं में पिछड़ी जातियों के लिए 26 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ किया. उनके ही प्रयासों से 1990 के दशक में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण के लिए मंडल आयोग की सिफारिशे लागू हुईं.
ठाकुर नाई समुदाय से थे, और उनके गांव का नाम पितौंझिया है जिसे अब कर्पूरी ग्राम के नाम से जाना जाता है.
1984 के लोकसभा चुनावों में जब उन्होंने कई गैर-कांग्रेसी उम्मीदवारों के साथ समस्तीपुर से चुनाव लड़ा तो उन्हें चुनावी हार का सामना करना पड़ा. ये वो दौर था जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर चली थी और कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए थे.
दिसंबर 1970 में वे पहली बार राज्य के सीएम बने, उनकी सरकार गठबंधन की सरकार थी. ठाकुर ऐसे समय में सीएम बने जब राज्य राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था इसलिए उनका कार्यकाल जून 1971 तक बमुश्किल छह महीने तक चला. बाद में वह जून 1977 में जनता पार्टी के सीएम बने और करीब दो साल तक सत्ता में रहे, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनके अपने मुख्य सहयोगी, भारतीय जनसंघ, बीजेपी के साथ मतभेद रहे और भी कई कारण रहे जिसकी वजह से सरकार गिर गई.
ठाकुर जो 26 प्रतिशत आरक्षण मॉडल लाए थे उसमें ओबीसी समुदायों को 12 प्रतिशत हिस्सेदारी मिली थी; ओबीसी में से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 8 प्रतिशत हिस्सेदारी मिली थी; महिलाओं को 3 प्रतिशत; और ऊंची जातियों में से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को भी 3 प्रतिशत हिस्सेदारी मिली थी.
एक तरफ वे एक स्वतंत्रता सेनानी और कट्टर समाजवादी थे, जिन्होंने जयप्रकाश नारायण, डॉ राममनोहर लोहिया और रामनंदन मिश्रा के साथ 1942 से 1967 तक काम किया था. फिर वे राज्य के मुख्यमंत्री और सबसे बड़े समाजवादी नेता बने -ये बात 1970 से 1979 की है; और उनके बाद के वर्ष (1980-1988) जब वह अपनी राजनीतिक पहचान को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे.
बिहार में सत्ताधारी जेडीयू और आरजेडी लगातार कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग करती रही है.
आम चुनाव से पहले मोदी सरकार के इस कदम को 40 संसदीय सीटों वाले राज्य, बिहार के मुख्यमंत्री को खुश करने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है.
पीएम मोदी ने जताई खुशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की सराहना की है. उन्होंने अपने X (पहले ट्विटर) हैंडल पर लिखा,
"मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है. पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी जी की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है. यह भारत रत्न न केवल उनके अतुलनीय योगदान का विनम्र सम्मान है, बल्कि इससे समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा"
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक्स पर लिखा कि, "पूर्व मुख्यमंत्री और महान समाजवादी नेता स्व. कर्पूरी ठाकुर जी को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया जाना हार्दिक प्रसन्नता का विषय है. केंद्र सरकार का यह अच्छा निर्णय है. स्व. कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी 100वीं जयंती पर दिया जाने वाला यह सर्वोच्च सम्मान दलितों, वंचितों और उपेक्षित तबकों के बीच सकारात्मक भाव पैदा करेगा. हम हमेशा से ही स्व. कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ देने की मांग करते रहे हैं. वर्षों की पुरानी मांग आज पूरी हुई है."
आरेजडी नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने एक्स पर लिखा कि, "बिहार विधानसभा के शताब्दी स्तंभ कार्यक्रम में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष/ वर्तमान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जी ने प्रधानमंत्री से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग की थी. इसके साथ ही आरजेडी के साथियों ने लोक सभा/राज्य सभा में हाथ जोड़कर लगातार विनती की. बहुजन हक ही आज का सच है."
भारत रत्न किसे दिया जाता है?
भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है जो किसी क्षेत्र में असाधारण और सर्वोच्च सेवा को मान्यता देने के लिये दिया जाता है.
यह सम्मान राजनीति, कला, साहित्य, विज्ञान के क्षेत्र में किसी विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को दिया जाता है.
दरअसल भारत रत्न देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को उस समय के राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी. सबसे पहली बार आजाद भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और साइंटिस्ट डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन को 1954 में भारत रत्न दिया गया था.
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